नागपुर में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत- हमारी स्वतंत्रता टिकी रहे, इसके लिए जरूरी है सामाजिक अनुशासन
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हम राजनीतिक दृष्टि से खंडित क्यों न हो, लेकिन हम स्वतंत्र हैं. हमें स्वतंत्रता मिली और आज देश में अपना राज है. यह स्वतंत्रता टिकी रहे और राज्य सुचारू रूप से चलता रहे, इसके लिए सामाजिक अनुशासन आवश्यक है.
नागपुर: नागरिकता कानून (CAA) को लेकर नॉर्थ ईस्ट दिल्ली (North East Delhi) में भड़की हिंसा की आग की तपिश को देशभर में महसूस किया जा सकता है. राजधानी दिल्ली में हुई इस हिंसा (Delhi Violence) में अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) गुरुवार को महाराष्ट्र (Maharashtra) के नागपुर (Nagpur) में आयोजित नववर्ष 2020 कार्यक्रम में पहुंचे, जहां उन्होंने दिल्ली हिंसा पर चिंता जाहिर की. इस मौके पर उन्होंने स्वतंत्रता को कायम रखने और राज्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए सामाजिक और नागरिक अनुशासन पर जोर दिया. इस कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हम राजनीतिक दृष्टि से खंडित क्यों न हो, लेकिन हम स्वतंत्र हैं. हमें स्वतंत्रता मिली और आज देश में अपना राज है. यह स्वतंत्रता टिकी रहे और राज्य सुचारू रूप से चलता रहे, इसके लिए सामाजिक अनुशासन आवश्यक है.
उन्होंने कहा कि संविधान प्रदान करते समय डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संसंद में दो भाषण हुए. उनमें जिन बातों का उल्लेख किया गया था यह वही बात है. अब हमारे देश का जो कुछ होगा उसके लिए हम जिम्मेदार हैं. अगर कुछ रह गया, कुछ नहीं हुआ, उल्टा सीधा हुआ तो ब्रिटिशों को दोष नहीं दे सकते, इसलिए हमको अब बहुत विचार करना पड़ेगा. स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए सामाजिक और नागरिक अनुशासन बेहद जरूरी है. यह भी पढ़ें: संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, कहा- कोई खुश नहीं, हर कोई कर रहा है आंदोलन
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बता दें कि हाल ही में मोहन भागवत झारखंड दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने भारत की संस्कृति पर गर्व करते हुए देश को परम वैभव तक पहुंचाने का कार्य करने के लिए स्वयंसेवकों का आह्वान किया. उन्होंने कहा था कि संघ भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए सब लोगों को साथ लेकर चलने का कार्य करता है. इसके साथ ही संघ के कार्यों को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा था कि हिंदुओं को संगठित करना और अपने देश को विश्व गुरु बनाना संघ का परम कर्तव्य है.