बेंगलुरु: देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus Outbreak) के मद्देनजर लॉकडाउन (Lockdwon) का दूसरा चरण चल रहा है. इस वायरस के प्रसार के रोकथाम के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को सबसे प्रभावी उपाय माना जा रहा है, इसलिए लगातार लोगों से कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की जा रही है. हालांकि ऐहतियात के तौर लॉकडाउन के पहले चरण की घोषणा के साथ ही देश के सभी धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की आवाजाही पर बैन लगा दिया गया है. यहां तक कि मुस्लिम समुदाय के लोगों से भी मस्जिदों के बजाय अपने घरों में नमाज अदा करने की अपील की जा रही है. इस बीच कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को रमजान (Ramzan) के पाक महीने में मस्जिदों (Mosque) में तरावीह के साथ सभी सामूहिक प्रार्थनाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
कर्नाटक के अल्पसंख्यक कल्याण, वक्फ और हज विभाग (Karnataka's Minority Welfare, Waqf and Hajj Department) ने एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि रमजान के दौरान शुक्रवार की नमाज और तरावीह की नमाज सभी सामूहिक प्रार्थनाओं के लिए मस्जिद में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इस सर्कुलर के जारी होने के बाद रमजान में किसी भी व्यक्ति को मस्जिद में जुम्मा, तरावीह सहित पांच बार के सामूहिक नमाज के लिए इजाजत नहीं दी जाएगी. सर्कुलर में लिखा है कि मस्जिद के कर्मचारी जिनमें इमाम और मुअज्जिन शामिल हैं, केवल उन्हें ही परिसर के अंदज नमाज अदा करने की अनुमति दी जाएगी.
कर्नाटक अल्पसंख्यक कल्याण, वक्फ और हज विभाग का सर्कुलर-
No public shall be allowed to perform five-time congregational prayers in mosques, across Karnataka, during #Ramzan, in view of #COVID19 pandemic. No public address system to be used by the staff of mosques for offering namaz: State Minority Welfare, Waqf & Hajj Department pic.twitter.com/QTEhZ44jYZ
— ANI (@ANI) April 16, 2020
हालांकि रमजान के दौरान मस्जिदों में सेहरी और इफ्तार के समय की घोषणा करने की अनुमति दी गई है, लेकिन रमजान के दौरान आयोजित होने वाली दावतों पर प्रतिबंध लगाया गया है. इसके साथ ही कहा गया है दावत-ए-सेहरी/इफ्तार की कोई व्यवस्था नहीं की जाएगी. लॉकडाउन के दौरान मस्जिदों के पास खाने की दुकानें भी बंद रहेंगी. कर्नाटक के इमरत-ए-शरिया (Imarat-e-Sharia) ने पहले ही रमजान के दौरान लोगों से अपने धार्मिक कर्तव्यों के साथ लॉकडाउन का पालन करने की अपील की है. यह भी पढ़ें: शब-ए-बारात और लॉक डाउनः कैसे पढ़ें नमाज! कहां करें इबादत! जानें क्या कहते हैं मुस्लिम धर्मगुरु!
बता दें कि इस हफ्ते की शुरुआत में ही केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मुसलमानों से रमजान के महीने के दौरान मस्जिदों में न जाने की अपील की थी. नकवी ने एक वीडियो संदेश में कहा कि रमजान 24 अप्रैल से शुरू होगा. रमजान के दौरान कई मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों पर नमाज अदा किए जाते हैं और इफ्तार समारोह का आयोजन किया जाता है, लेकिन इस साल स्थिति सामान्य नहीं है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम देशों सहित पूरी दुनिया ने धार्मिक स्थलों पर सामूहिक समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया है. रमजान के दौरान कृपया मस्जिदों में न जाएं और रमजान के दौरान अपने घरों में नमाज अदा करें. धार्मिक या सार्वजनिक स्थलों पर इफ्तार पार्टियों में शरीक होने से बचें.
गौरतलब है कि रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्योदय से पहले सेहरी करते हैं और सूर्यास्त के बाद इफ्तार करके अपना व्रत खोलते हैं. बता दें कि भारत में चांद का दीदार होने के बाद रमजान महीने की 25 अप्रैल या 26 अप्रैल से होगी. रमजान के महीने में दुनिया भर के मुसलमान रोजा रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते लोगों को अपने घरों में ही सारे नमाज अदा करने होंगे.