Article 370: पुलवामा आतंकी हमले के बाद लिया आर्टिकल 370 को हटाने का फैसला; सुप्रीम कोर्ट में बोली सरकार

भारत सरकार ने कहा कि फरवरी 2019 के पुलवामा हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों की जान चली गई, जिसने सरकार को जम्मू और कश्मीर (J&K) की विशेष स्थिति को रद्द करने और राज्य को भारतीय संघ में पूरी तरह से एकीकृत करने के लिए प्रेरित किया.

Decision To Scrap Article 370 | PTI

नई दिल्‍ली: जम्मू और कश्मीर का स्पेशल स्टेटस यानी आर्टिकल-370 (Article 370) को खत्म करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हुई बहस के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से सोमवार को कहा गया कि फरवरी 2019 में पुलवामा में CRPF काफिले पर जिहादी हमले (Pulwama Terror Attack) के बाद केंद्र ने कश्‍मीर के स्पेशल स्टेटस को खत्म कर वहां केंद्र शासित प्रदेश बनाने का विचार किया. केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बहुत सी चीजें हुई. पुलवामा हमला 2019 एक बड़ी घटना थी जिसके बाद केंद्र ने संप्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा सहित कई मुद्दों को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया. कोटा में कैसे रुकेंगे सुसाइड के मामले? दो और छात्रों की आत्महत्या के बाद क्या ये नया तरीका आएगा काम.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस निर्णय से पहले और अच्छी तरह से सोचा गया है और यह जल्दबाजी में लिया गया निर्णय नहीं है. भारत सरकार ने कहा कि फरवरी 2019 के पुलवामा हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों की जान चली गई, जिसने सरकार को जम्मू और कश्मीर (J&K) की विशेष स्थिति को रद्द करने और राज्य को भारतीय संघ में पूरी तरह से एकीकृत करने के लिए प्रेरित किया.

5 अगस्त, 2019 को हटाया गया था अनुच्छेद 370

5 अगस्त, 2019 को हुए इस कदम को नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने चुनौती दी है, जिनका तर्क है कि इससे कश्मीर के लोगों की स्वायत्तता और आंतरिक संप्रभुता का नुकसान हुआ. साथ ही अनुच्छेद 370 और 35ए को फिर से बहाल करने की मांग की गई. हालांकि, सरकार का कहना है कि स्थिति को सुधारने के लिए यह निर्णय आवश्यक था.

35 (A) के हटने से हुआ विकास

सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इन राजनीतिक दलों द्वारा किए गए दावों का खंडन किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर के निवासी अनुच्छेद 35 (ए) जैसे प्रावधानों के कारण मौलिक अधिकारों का पूरी तरह से आनंद नहीं ले पाए हैं, जो क्षेत्र के स्थायी निवासियों के लिए कुछ अधिकारों को सीमित करता है. मेहता ने इस प्रावधान की भेदभावपूर्ण प्रकृति पर प्रकाश डाला और भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली संविधान पीठ को इस मूल्यांकन से सहमत कराया.

तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि अनुच्छेद 35ए हटने से जम्मू-कश्मीर में निवेश आना शुरू हो गया है और पुलिस व्यवस्था केंद्र के पास होने से क्षेत्र में पर्यटन भी शुरू हो गया है. सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि अलगाव के बाद से लगभग 16 लाख पर्यटकों ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया है और क्षेत्र में नए होटल खोले गए हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला है.

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