टैक्स बढ़ोतरी की रिपोर्ट जारी करने वाले 3 वरिष्ठ IT अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू, ड्यूटी से हटाया

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने नियमों की अनदेखी कर एक रिपोर्ट सार्वजनिक करने के आरोप में तीन प्रधान आयुक्त रैंक के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की है.

टैक्स (File Photo)

नई दिल्ली: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने नियमों की अनदेखी कर एक रिपोर्ट सार्वजनिक करने के आरोप में तीन प्रधान आयुक्त रैंक के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की है. तीनों वरिष्ठ आईआरएस (IRS) अधिकारियों को पहले ही ड्यूटी से हटा दिया गया है.

मिली जानकारी के मुताबिक सीबीडीटी ने युवा करदाताओं को भ्रमित करने और अनधिकृत रूप से एक रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए आईआरएस अधिकारी संजय बहादुर, प्रकाश दुबे और प्रशांत भूषण को आरोपी बनाया है. सभी अधिकारियों को 15 दिन के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है. Fact Check: सभी टैक्सपेयर्स को जमा करानी पड़ेगी अपनी 18% आय, केंद्र ला रही अधिनियम?

दरअसल, कोरोना संकट के बीच अर्थव्यवस्था को सहारा देने के मकसद से 50 आईआरएस अधिकारियों के समूह ने एक रिपोर्ट बनाई थी, जिसमें कर में वृद्धि करने का सुझाव दिया गया था. अधिकारियों की लापरवाही से यह रिपोर्ट लीक हो गई. जिसमें महामारी के दौरान कम हो चुकी आर्थिक गतिविधि और संग्रह को बढ़ाने के लिए अधिक आय वाले (सुपर रिच) लोगों पर टैक्स बढ़ाने, कोविड-19 सेस लगाने, एमएनसी पर सरचार्ज बढ़ाने जैसे कदम सुझाये गए थे.

फोर्स (Fiscal Options and Response to COVID-19 Epidemic) नाम वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यूनतम एक करोड़ रुपये से ऊपर की कुल आय वालों पर सर्वोच्च कर स्लैब 40 प्रतिशत किया जाए या पांच करोड़ रुपये या इससे अधिक की संपत्ति वालों पर संपत्ति कर फिर से लगाया जाए. इसमें तर्क दिया गया है कि मौजूदा संकट से उबरने के लिए धनी लोग अपनी पूंजी का इस्तेमाल करने में सक्षम है. (एजेंसी इनपुट के साथ)

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