नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को यहां कहा कि बुधवार को हमारी आजादी के इकहत्तर वर्ष पूरे हो रहे हैं, और यह दिन अपने पूर्वजों के योगदान को याद करने के साथ ही राष्ट्र निर्माण के अपूर्ण कार्यो को पूरा करने का संकल्प लेने का भी दिन है.
राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, "15 अगस्त का दिन, प्रत्येक भारतीय के लिए पवित्र होता है, चाहे वह देश में हो, या विदेश में. हमारा तिरंगा हमारे देश की अस्मिता का प्रतीक है. इस दिन, हम देश की संप्रभुता का उत्सव मनाते हैं, और अपने उन पूर्वजों के योगदान को कृतज्ञता से याद करते हैं. यह दिन, राष्ट्र-निर्माण में, उन बाकी बचे कार्यो को पूरा करने के संकल्प का भी दिन है, जिन्हें हमारे प्रतिभाशाली युवा अवश्य ही पूरा करेंगे."
कोविंद ने कहा, "वर्ष 1947 में, 14 और 15 अगस्त की मध्य-रात्रि के समय, हमारा देश आजाद हुआ था. यह आजादी हमारे पूर्वजों और सम्मानित स्वाधीनता सेनानियों के वर्षों के त्याग और वीरता का परिणाम थी. वे चाहते, तो सुविधापूर्ण जीवन जी सकते थे. लेकिन देश के प्रति अपनी अटूट निष्ठा के कारण, उन्होंने ऐसा नहीं किया. वे एक ऐसा स्वाधीन और प्रभुता-सम्पन्न भारत बनाना चाहते थे, जहां समाज में बराबरी और भाई-चारा हो. हम उनके योगदान को हमेशा याद करते हैं."
The citizens who wait in a queue for their turn and respect the rights of those standing in front of them, create the India of the dreams of freedom fighters. This is a very small effort. Let us make it a part of our lives: President Ram Nath Kovind. #IndependenceDay2018 pic.twitter.com/9Lj8UxhTyM
— ANI (@ANI) August 14, 2018
राष्ट्रपति ने कहा, "यदि हम स्वाधीनता का केवल राजनैतिक अर्थ लेते हैं तो लगेगा कि 15 अगस्त, 1947 के दिन हमारा लक्ष्य पूरा हो चुका था. उस दिन राजसत्ता के खिलाफ संघर्ष में हमें सफलता प्राप्त हुई और हम स्वाधीन हो गए. लेकिन, स्वाधीनता की हमारी अवधारणा बहुत व्यापक है. इसकी कोई बंधी-बंधाई और सीमित परिभाषा नहीं है. स्वाधीनता के दायरे को बढ़ाते रहना, एक निरंतर प्रयास है. 1947 में राजनैतिक आजादी मिलने के, इतने दशक बाद भी, प्रत्येक भारतीय, एक स्वाधीनता सेनानी की तरह ही देश के प्रति अपना योगदान दे सकता है. हमें स्वाधीनता को नए आयाम देने हैं, और ऐसे प्रयास करते रहना है, जिनसे हमारे देश और देशवासियों को विकास के नए-नए अवसर प्राप्त हो सकें."
समाज में महिलाओं के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि कई मायनों में, महिलाओं की आजादी को व्यापक बनाने में ही देश की आजादी की सार्थकता है. "आजादी की सार्थकता घरों में माताओं, बहनों और बेटियों के रूप में, तथा घर से बाहर अपने निर्णयों के अनुसार जीवन जीने की उनकी स्वतंत्रता में देखी जा सकती है. उन्हें अपने ढंग से जीने का तथा अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करने का सुरक्षित वातावरण तथा अवसर मिलना ही चाहिए."
कोविंद ने नौजवानों के बारे में कहा, "हमारे नौजवान, भारत की आशाओं और आकांक्षाओं की बुनियाद हैं. हमारे स्वाधीनता संग्राम में युवाओं और वरिष्ठ-जनों, सभी की सक्रिय भागीदारी थी. लेकिन, उस संग्राम में जोश भरने का काम विशेष रूप से युवा वर्ग ने किया था. स्वाधीनता की चाहत में, भले ही उन्होंने अलग-अलग रास्ते चुने हों, लेकिन वे सभी आजाद भारत, बेहतर भारत, तथा समरस भारत के अपने आदशरें और संकल्पों पर अडिग रहे."