बिहार भाजपा में बदलाव की तैयारी, सम्राट चौधरी उपमुख्यमंत्री रहेंगे या प्रदेश अध्यक्ष?

लोकसभा चुनाव की समाप्ति के बाद बिहार भाजपा अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है. इस बीच, बिहार भाजपा में बदलाव के संकेत भी मिल रहे हैं.

Samrat Chaudhary (Photo Credits: Ani)

पटना, 25 जून : लोकसभा चुनाव की समाप्ति के बाद बिहार भाजपा अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है. इस बीच, बिहार भाजपा में बदलाव के संकेत भी मिल रहे हैं. दरअसल, भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत लागू है. फिलहाल सम्राट चौधरी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं और बिहार सरकार में उप मुख्यमंत्री भी हैं. ऐसे में भाजपा में एक बड़े बदलाव की संभावना जताई जा रही है.

हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए को सरकार चलाने का जनादेश प्राप्त हुआ था. बाद में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के महागठबंधन में जाने के बाद भाजपा, सरकार से बाहर हो गई थी. उस समय भाजपा के सामने जदयू और राजद से एक साथ लड़ने की चुनौती सामने आ गई थी. यहं भी पढ़ें : Buldhana Bus Fire: दूल्हा और दुल्हन को लेकर जा रही बस में लगी भीषण आग, जलकर राख हुई बस, महाराष्ट्र के बुलढाना की घटना-Video

ऐसे में भाजपा ने पिछले साल मार्च में सम्राट चौधरी के हाथ में प्रदेश के नेतृत्व की जिम्मेदारी देकर बड़े कुशवाहा समुदाय को खुश करने की कोशिश की. चौधरी के जरिए भाजपा की नजर कोइरी और कुर्मी वोटबैंक साधने की थी.

इसी बीच, प्रदेश की सियासत का गणित बदला और नीतीश कुमार फिर से एनडीए के साथ आ गए. इसी के साथ फिर एनडीए की सरकार बनी और सम्राट चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. लोकसभा चुनाव में भाजपा संगठन में बदलाव कर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी. लेकिन चुनाव के बाद बड़े बदलाव की संभावना जताई जा रही है. इधर, देखा जाए तो राजद जहां कुशवाहा समाज को साधने की कोशिश में जुटी है, वहीं भाजपा अपने जातीय समीकरण को दुरुस्त करने को देख रही है.

सूत्रों के अनुसार, भाजपा सभी पहलुओं पर विचार कर रही है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बदलने पर भी विचार किया जा रहा है. ऐसे में कई नामों की चर्चा है. कहा जा रहा है कि भाजपा चौधरी को ही अध्यक्ष बनाये रख कर उपमुख्यमंत्री पद पर बदलाव कर सकती है. वैसे, अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी है.

सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में उम्मीद से बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिलने के बाद यह साफ है कि भाजपा अगले साल होने वाले चुनाव के लिए कोई जोखिम नहीं लेना चाहती. ऐसे में प्रदेश भाजपा का कोई नया अध्यक्ष मिले तो कोई हैरानी नहीं होगी.

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