FAO की 75वीं वर्षगांठ पर पीएम मोदी ने 75 रुपये का स्मृति सिक्का किया जारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Photo Credits: Twitter/BJP)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान 75 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया. इसके साथ-साथ उन्होंने हाल ही में विकसित 8 फसलों की 17 जैव-संवर्धित किस्में भी राष्ट्र को समर्पित की. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि दुनियाभर में जो लोग कुपोषण को दूर करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं, मैं उन्हें भी बधाई देता हूं. इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कृषि मंत्री के सहयोग से देश का पोषण एटलस बनाने का काम जारी है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत को सुपोषित करने के लिए एवरग्रीन रिवोल्यूशन की ओर ले जाना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि सुपोषित भारत के पथ पर अग्रसरित होने की दिशा में यह अहम कदम है.

आइए अब विस्तार से जानते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में किन बातों को जनता के समक्ष रखा.

प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन के अंश…

> World Food Day के अवसर पर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं. दुनियाभर में जो लोग कुपोषण को दूर करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं, मैं उन्हें भी बधाई देता हूं.

> भारत के हमारे किसान साथी- हमारे अन्नदाता, हमारे कृषि वैज्ञानिक, हमारे आंगनबाड़ी-आशा कार्यकर्ता, कुपोषण के खिलाफ आंदोलन का आधार हैं. इन्होंने अपने परिश्रम से जहां भारत का अन्न भंडार भर रखा है, वहीं दूर-सुदूर, गरीब से गरीब तक पहुंचने में ये सरकार की मदद भी कर रहे हैं. इन सभी के प्रयासों से ही भारत कोरोना के इस संकटकाल में भी कुपोषण के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ रहा है.

> FAO के World Food Program को इस वर्ष का नोबल शांति पुरस्कार मिलना भी एक बड़ी उपलब्धि है. और भारत को खुशी है कि इसमें भी हमारी साझेदारी और हमारा जुड़ाव ऐतिहासिक रहा है.

> कुपोषण के खिलाफ भारत की लड़ाई पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा “2014 के बाद देश में नए सिरे से प्रयास शुरू किए गए. हम Integrated approach लेकर आगे बढ़े, होलिस्टिक अप्रोच लेकर आगे बढ़े. तमाम Silos को समाप्त करके हमने एक Multi-Dimensional रणनीति पर काम शुरू किया.”

> कुपोषण से निपटने के लिए एक और महत्वपूर्ण दिशा में काम हो रहा है. अब देश में ऐसी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसमें पौष्टिक पदार्थ- जैसे प्रोटीन, आयरन, जिंक इत्यादि ज्यादा होते हैं. मैं आज FAO को विशेष धन्यवाद देता हूं कि उसने वर्ष 2023 को International Year of Millets घोषित करने के भारत के प्रस्ताव को पूरा समर्थन दिया है.

> वर्ष 2023 को International Year of Millets घोषित करने के प्रस्ताव के पीछे भी कुछ इसी तरह की भावना है. इससे भारत ही नहीं विश्व भर को दो बड़े फायदे होंगे. एक तो पौष्टिक आहार प्रोत्साहित होंगे, उनकी उपलब्धता और बढ़ेगी. और दूसरा- जो छोटे किसान होते हैं, जिनके पास कम जमीन होती है, उन्हें बहुत लाभ होगा.

> भारत में पोषण अभियान को ताकत देने वाला एक और अहम कदम आज उठाया गया है. आज गेहूं और धान सहित अनेक फसलों के 17 नए बीजों की वैरायटी, देश के किसानों को उपलब्ध कराई जा रही हैं.

> बीते कुछ महीनों में पूरे विश्व में कोरोना संकट के दौरान भुखमरी-कुपोषण को लेकर अनेक तरह की चर्चाएं हो रही हैं. बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स अपनी चिंताएं जता रहे हैं कि क्या होगा, कैसे होगा?

> इन चिंताओं के बीच, भारत पिछले 7-8 महीनों से लगभग 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन उपलब्ध करा रहा है. इस दौरान भारत ने करीब-करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए का खाद्यान्न गरीबों को मुफ्त बांटा है.

> क्या आप जानते हैं कि कोरोना के कारण जहां पूरी दुनिया संघर्ष कर रही है, वहीं भारत के किसानों ने इस बार पिछले साल के प्रोडक्शन के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया? क्या आप जानते हैं कि सरकार ने गेहूं, धान और दालें सभी प्रकार के खाद्यान्न की खरीद के अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.

> आज भारत में निरंतर ऐसे रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं जो Global Food Security के प्रति भारत के Commitment को दिखाते हैं.

> खेती और किसान को सशक्त करने से लेकर भारत के Public Distribution System तक में एक के बाद एक सुधार किए जा रहे हैं. किसानों को लागत का डेढ़ गुणा दाम MSP के रूप में मिले, इसके लिए अनेक कदम उठाए गए हैं. MSP और सरकारी खरीद, देश की फूड सिक्योरिटी का अहम हिस्सा हैं. इसलिए इनका जारी रहना स्वभाविक है.

> छोटे किसानों को ताकत देने के लिए, Farmer Producer Organizations यानि FPOs का एक बड़ा नेटवर्क देश में तैयार किया जा रहा है.

> भारत में अनाज की बर्बादी हमेशा से बहुत बड़ी समस्या रही है. अब जब Essential Commodities Act में संशोधन किया गया है, इससे स्थितियां बदलेंगी.