प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक कहा-राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भारत किसी दबाव में नहीं आयेगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को उनकी सरकार के सशस्त्र बलों को महत्ता देने का उल्लेख करते कहा कि भारत राष्ट्रीय सुरक्षा के किसी मामले में किसी दबाब या प्रभाव में नहीं झुकेगा.
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को उनकी सरकार के सशस्त्र बलों को महत्ता देने का उल्लेख करते कहा कि भारत राष्ट्रीय सुरक्षा के किसी मामले में किसी दबाब या प्रभाव में नहीं झुकेगा.
करगिल युद्ध की 20वीं वर्षगांठ को मनाने के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुये मोदी ने पाकिस्तान को ऐसे दुस्साहस को दोहराने को लेकर स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि भारत की सशस्त्र सेनाएं पड़ोसी देश के नापाक इरादों को दो दशक पहले ही ध्वस्त कर चुकी हैं. उन्होंने कहा कि आज के समय में संघर्ष अंतरिक्ष और साइबर जगत में पहुंच गया है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सेना को आधुनिक बनाया जाना चाहिये और यह हमारी प्राथमिकता है। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए न किसी के दबाव में काम होगा, न प्रभाव और न ही अभाव में. गहरे समुद्र से लेकर अनंत अंतरिक्ष तक, भारत अपनी क्षमताओं का पूरी तरह से प्रयोग करेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि वह देश के सुरक्षा हितों को मजबूत बनाने और संसाधनों की सुरक्षा को लेकर कदम उठा रहे हैं.
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत कभी भी हमलावर नहीं रहा है और भारत की सेनाएं विश्व स्तर पर मानवता और शांति की रक्षक रही हैं.
मोदी ने कहा कि आतंकवाद और छद्म युद्ध का खतरा आज पूरे विश्व के सामने है. पाकिस्तान का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि जो युद्ध में हार गये हैं वे आज छद्म युद्ध की कोशिश कर रहे हैं और आतंकवाद का समर्थन करते हैं ताकि उनके राजनीतिक मकसद हल हो सकें.
उन्होंने कहा कि समय की जरूरत है कि जो मानवता में विश्वास करते हैं, उन्हें सशस्त्र सेना के समर्थन में खड़ा होना चाहिये और यह आतंकवाद का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए आवश्यक है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने कश्मीर में बार बार 1948, 1965, 1971 और 1999 में छल का सहारा लिया पर हर बार पराजित हुआ. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुये कहा कि उन्होंने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया.
उन्होंने करगिल युद्ध के समय भारतीय सैनिकों के बलिदान को याद करते हुये कहा कि करगिल में विजय भारत के वीर बेटे-बेटियों के अदम्य साहस की जीत थी. करगिल में विजय भारत के संकल्पों की जीत थी. करगिल में विजय भारत के सामर्थ्य और संयम की जीत थी। करगिल में विजय भारत के मर्यादा और अनुशासन की जीत थी.
उन्होंने कहा, ‘‘युद्ध सरकारों द्वारा नहीं बल्कि पूरे देश द्वारा लड़े जाते हैं, करगिल की जीत आज भी पूरे देश को प्रेरणा देती है...करगिल प्रत्येक भारतीय की जीत थी.’’उन्होंने कहा, ‘‘युद्ध के चरम पर होने के दौरान मैं करगिल गया था और यह मेरे लिए तीर्थयात्रा जैसा था.’’
उन्होंने सीमा पर किए जा रहे विकास कार्यों का भी उल्लेख किया. प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर वीर चक्र विजेता बिहार रेजीमेंट के मेजर सर्वानंद के पराक्रम को याद किया जो तमिलनाडु के रहने वाले थे. उन्होंने वीर चक्र विजेता और दिल्ली निवासी राजपूताना राइफल्स के कैप्टन हनीफुद्दीन और परमवीर चक्र से सम्मानित हुये हिमाचल प्रदेश निवासी कैप्टन विक्रम बत्रा को भी याद किया.
प्रधानमंत्री ने कहा, "ये दिल मांगे मोर '(कैप्टन बत्रा के शब्द) ... किसके लिए उनका दिल ज्यादा मांगता था। न अपने लिए, न किसी भाषा, धर्म या जाति के लिए। यह पूरे देश के लिए, भारत माता के लिए था.