Jan Suraaj in Bihar Election 2025: बिहार चुनाव 2025 में क्यों फेल हुए प्रशांत किशोर, जन सुराज पार्टी ने कहां की गलती? जानें हार की बड़ी वजहें
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बड़ा दावा करने वाली जन सुराज पार्टी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी. प्रशांत किशोर, जो खुद को सफल रणनीतिकार के तौर पर पेश करते रहे, इस बार अपने ही राज्य में प्रभाव नहीं बना पाए.
Prashant Kishor Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बड़ा दावा करने वाली जन सुराज पार्टी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी. प्रशांत किशोर, जो खुद को सफल रणनीतिकार के तौर पर पेश करते रहे, इस बार अपने ही राज्य में प्रभाव नहीं बना पाए. शुरुआती रुझानों से ही साफ हो गया था कि पार्टी जमीन पर वह असर नहीं छोड़ सकी जिसकी उम्मीद की जा रही थी. जन सुराज को कई लोग चुनाव का थर्ड फ्रंट मान रहे थे, लेकिन नतीजों ने तस्वीर बिल्कुल अलग दिखा दी.
जमीन की पकड़ कमजोर
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जन सुराज की सबसे बड़ी कमजोरी यही थी कि पार्टी का असर सोशल मीडिया पर तो दिखा, लेकिन असल बूथ स्तर पर ढांचा तैयार नहीं हो पाया. पार्टी के पास BLA तक की कमी थी, जिससे बूथ प्रबंधन पूरी तरह कमजोर रहा. कई स्थानीय नेताओं को टिकट का भरोसा देने के बाद भी आखिरी समय में बदले जाने से नाराजगी बढ़ी और कार्यकर्ताओं में जोश घटता गया. सोशल मीडिया की हवाई लहर चुनावी जमीन पर वोट में तब्दील नहीं हो पाई.
खुद चुनाव नहीं लड़ना भी पड़ा भारी
विश्लेषक मानते हैं कि प्रशांत किशोर का स्वयं चुनाव मैदान में नहीं उतरना भी विपक्षियों और जनता, दोनों के लिए भ्रमित करने वाला रहा. कई समर्थकों ने इसे आत्मविश्वास की कमी माना. PK ने जिन मुद्दों को उठाया, उनमें जनता की दिलचस्पी जरूर थी, लेकिन वह विश्वास नहीं बन पाया कि वे खुद प्रणाली में उतरकर बदलाव लाना चाहते हैं.
दूसरी ओर, PK की आलोचना और नीतीश सरकार पर लगातार हमलों का उल्टा असर दिखा और जेडीयू इसका फायदा उठा ले गई.
पार्टी के अंदर मतभेद और कैंडिडेट चयन पर सवाल
जन सुराज के भीतर समय-समय पर मतभेद की खबरों ने भी चुनावी माहौल में बुरा असर डाला. उम्मीदवार चयन में असहजता और अस्पष्टता दिखी, जिसके कारण मजबूत स्थानीय चेहरों ने दूरी बना ली. राजनीतिक जानकारों के अनुसार, प्रशांत किशोर की कार्यशैली से भी कई नेता सहज महसूस नहीं करते थे, जिसने पार्टी को मजबूत होने से रोका.