100 साल पहले अडोल्फ हिटलर ने जर्मनी में तख्तापलट की एक नाकाम साजिश रची. क्या आज के जर्मनी में भी वैसे ही हालात बनने लगे हैं?म्यूनिख शहर के एक बीयर हॉल में एक छोटे से ग्रुप की चुपचाप तख्तापलट करने की साजिश, अडोल्फ हिटलर के लिए यह घटना टर्निंग पॉइंट साबित हुई. पहली नजर में 8 और 9 नवंबर 1923 को म्यूनिख में हुई घटनाएं भले ही नाकाम कोशिशें लगें, लेकिन जर्मनी और विश्व के इतिहास को मोड़ने में उनकी बड़ी भूमिका है.
तख्तापलट की इस साजिश को लेकर हिटलर और जनरल एरिष फ्रीडरिष विल्हेम लुडेनडोर्फ पर मुकदमा चला. 1 अप्रैल 1924 को अदालत ने दोनों को बरी कर दिया. उस समय हिटलर नाम का युवक, जर्मनी के कई अतिवादी नेताओं में से एक था. जर्मनी को तब वाइमार रिपब्लिक कहा जाता था.
उस लम्हे में शायद किसी को यह अहसास नहीं था कि एक दशक बाद यही युवक और उसकी नाजी पार्टी जर्मनी को अपने कब्जे में लेंगे. हिटलर की नाजी सत्ता यूरोप को दूसरे विश्वयुद्ध में धकेलेगी और होलोकॉस्ट कहे जाने वाले अपराध में करोड़ों यहूदियों और अन्य समुदायों को बर्बरता से खत्म किया जाएगा.
म्यूनिख में वो निर्णायक दिन
1923 से ही हिटलर के दिमाग में कुछ बड़ी महात्वाकांक्षाएं थीं. आठ नवंबर की रात 2,000 समर्थकों के साथ हिटलर सेंट्रल म्यूनिख के बुर्गरब्रौएकेलर नाम के एक बीयर हाल में था. उस हॉल में बवेरिया सरकार के कई नामचीन लोग भी मौजूद थे. वे सब जर्मन राजा काइजर के शासन को खत्म करने और वाइमार रिपब्लिक की शुरुआत करने वाली 1918 की क्रांति का जश्न मनाने के लिए जुटे थे.
हिटलर को उम्मीद थी कि वह बीयर हॉल में मौजूद नेताओं को तख्तापलट के लिए उकसाने में सफल होगा. बवेरिया और संघीय प्रशासन के बीच मतभेद थे. बवेरिया में आपातकाल लागू था और प्रांत के नेता गुस्ताव रिटर फोन कार को असीम शक्तियां दी गई थीं.
इस प्लान में वह सह साजिशकर्ता था. लेकिन "कुछ भी योजना के मुताबिक नहीं हुआ," ये दावा जर्मन इतिहासकार और लेखक वोल्फगांग नीस ने किया है. हाल ही एक नई किताब पेश करने वाले नीस ने जर्मनी के राष्ट्रीय प्रसारक डीएलएफ से कहा, "उनके लक्ष्य ठोस थे ही नहीं."
बीयर हॉल से सेंट्रल म्यूनिख की तरफ बढ़ते हुए इन लोगों का सामना बवेरिया की पुलिस और सेना से हुआ. फायरिंग में कम-से-कम 14 नाजी और चार पुलिस अधिकारी मारे गए. तख्तापलट की कोशिश वहीं खत्म हो गई. अगर हिटलर उस दिन सफल हो जाता, तो वह इस भीड़ के साथ मार्च करता हुआ बर्लिन आता और संसदीय लोकतंत्र को धुर-दक्षिणपंथी तानाशाही से कुचल देता.
पुलिस के साथ झड़प में हिटलर मामूली रूप से घायल हुआ और कुछ दिन बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उच्च श्रेणी के राष्ट्रद्रोह के आरोप में उसे पांच साल जेल की सजा दी गई. लेकिन झड़प के साल भर बाद उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया.
पूर्व जनरल लुडेनडोर्फ पहले से ही वाइमार रिपब्लिक के कानूनों को चुनौती देता आया था. वह पहले विश्वयुद्ध में जर्मनी की हार के लिए यहूदियों और मार्क्सवादियों को जिम्मेदार ठहराता था.
नाकाम कोशिश से आगे का रास्ता
म्यूनिख में उस रात हिटलर भले ही नाकाम हुआ, लेकिन उसे आगे का रास्ता साफ नजर आने लगा. जेल में बहुत कम समय तक बंद रहने के दौरान उसने अपनी आत्मकथा "माइन काम्फ" लिखनी शुरू की. इस किताब के जरिए उसने अपना फासीवादी नजरिया जर्मनों के सामने रखा. यह किताब, उसकी पार्टी और समर्थकों के लिए एक मुखपत्र सा बन गया. किताब की लोकप्रियता के साथ-साथ हिटलर का नजरिया कोने- कोने में फैलने लगा. नाकाम तख्तापलट के बरसों बाद नाजियों को देश भर के चुनावों में सफलता मिल0%A4%AE+%E0%A4%A4%E0%A4%96%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%B2%E0%A4%9F+%E0%A4%95%E0%A5%87+100+%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B2+%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A6+%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%82+%E0%A4%96%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BE+%E0%A4%B9%E0%A5%88+%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%80+https%3A%2F%2Fhindi.latestly.com%2Findia%2Fpolitics%2Fwhere-does-germany-stand-100-years-after-the-failed-coup-2123982.html&link=https%3A%2F%2Fhindi.latestly.com%2Findia%2Fpolitics%2Fwhere-does-germany-stand-100-years-after-the-failed-coup-2123982.html&language=hi&handle=LatestLY&utm_source=Koo&utm_campaign=Social', 650, 420);" title="Share on Koo">