क्या है आर्टिकल 360? वो कानून जिसके तहत केंद्र लगा सकता है फाइनेंसियल इमरजेंसी
पीएम मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Photo Credits-Favebook)

नई दिल्ली. भारतीय संविधान का आर्टिकल 360 (Article 360) केंद्र सरकार को देश में फाइनेंसियल इमरजेंसी (Financial Emergency) लगाने की इजाजत देता है. कोरोना वायरस (Coronavirus) के कहर के मद्देनजर ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि आर्टिकल 360 का प्रयोग करना नरेंद्र मोदी सरकार के समक्ष एक विकल्प है. जानकारी के लिए बताना चाहते है कि न तो प्रधानमंत्री मोदी और न ही केंद्र सरकार (Modi Government) के किसी वरिष्ठ अधिकारी की तरफ से अब तक कहा गया है कि आर्टिकल 360 लगाने पर विचार चल रहा है.

आर्टिकल 360 क्या है? एक कानून जो संसद में राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल की राय पर फाइनेंसियल इमरजेंसी लागू करने की अनुमति प्रदान करता है. जिसमे केंद्र सरकार अपने शक्तियों का इस्तेमाल कर राज्यों को अपने वित्तीय संसाधनों का उपयोग कैसे किया जाए यह निर्देश देता है. इसके साथ ही यह कानून केंद्र सरकार को यह अनुमति भी देता है कि वे राज्यों के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों के सैलरी को संशोधित कर सकते हैं. यह भी पढ़े-Coronavirus Outbreak In India: केंद्र सरकार ने COVID-19 से मरने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपए मुआवजा देने का फैसला लिया वापस

"राष्ट्रपति यदि इस बात से पूरी तरफ संतुष्ट हैं कि भारत की वित्तीय स्थिरता या उसके किसी हिस्से में खतरे की आशंका है, तो वह घोषणा द्वारा उस आशय का ऐलान कर सकते हैं", जो कानून के क्लॉज़ 1 में है.

अगर आर्टिकल 360 लागू हुआ? यह अगले दो महीने तक लागू रहेगा या इसे बाद में राष्ट्रपति के आदेश के बाद कम भी किया जा सकता है.लेकिन अगर दो महीने से ज्यादा यह लागू हुआ तो इसे संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाना जरूरी है और दोनों सदनों का समर्थन अनिवार्य है.

आर्टिकल 360 लगाए जाने की अटकलें उस वक़्त शुरू हुई जब भारतीय मार्केट में बड़ी गिरावट देखने को मिली. सेंसेक्स 3,934.72 फिसलकर 25,981.24 अंकों पर बंद हुआ.

बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का ट्वीट-

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने शनिवार को सोशल मीडिया पर इस चर्चा को जन्म दिया. जिसमे उन्होंने सवाल किया कि क्या भारत की धीमी अर्थव्यवस्था पर COVID-19 के प्रभाव को देखते हुए आर्थिक इमरजेंसी लागू करना अनिवार्य है.