विदिशा लोकसभा सीट: खूब माथापच्ची के बाद बीजेपी-कांग्रेस ने ढूंढा दमदार उम्मीदवार, 30 साल से खिल रहा कमल
विदिशा लोकसभा सीट (File Photo)

भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के विदिशा (Vidisha) संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जैसे दिग्गज नेता कर चुके हैं, मगर इस बार के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) के लिए बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही दलों को दमदार उम्मीदवार उतारने में खूब माथापच्ची करनी पड़ी. हालांकि विदिशा बीजेपी का गढ़ हैं, जहां से बीजेपी 1989 से लगातार लोकसभा चुनाव जीतती आ रही है.

विदिशा की वर्तमा सांसद और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण इस बार चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. लिहाजा, इस स्थिति में बीजेपी के लिए एक बेहतर उम्मीदवार का चयन करना आसान काम नहीं था. सिंधिया परिवार का विदिशा में प्रभाव होने के कारण पार्टी ने काफी मंथन के बाद रमाकांत भार्गव को चुनावी रण में उतारा जबकि कांग्रेस ने उनके सामने शैलेंद्र पटेल पर दांव लगाया है.

विदिशा का 2014 में हाल-

सुषमा स्वराज (बीजेपी)- 7 लाख 14 हजार 348 वोट

लक्ष्मण सिंह (कांग्रेस)- 3 लाख 3 हजार 650 वोट

विदिशा में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पैतृक गांव है. यहां के इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए, तो एक बात साफ हो जाती है कि वर्ष 1967 के बाद से हुए लोकसभा के चुनावों में इस सीट से कांग्रेस को सिर्फ दो बार वर्ष 1980 और 1984 में जीत मिल पाई थी. दोनों बार कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर प्रताप भानु शर्मा जीते थे.

विदिशा का बीते दो बार से देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज प्रतिनिधित्व करती आ रही हैं. उन्होंने इस संसदीय क्षेत्र से वर्ष 2009 और 2014 में जीत दर्ज की है.

इस संसदीय क्षेत्र से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 1991 के चुनाव में जीत दर्ज की थी. वाजपेयी ने यह चुनाव विदिशा व लखनऊ संसदीय क्षेत्र से लड़ा था, बाद में विदिशा से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद पांच बार पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.