उत्तर प्रदेश के मंत्री गिरिराज सिंह धर्मेश ने की सीबीआई से कांशीराम के मौत की जांच कराने की मांग
बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की मृत्यु के 13 साल बाद उत्तर प्रदेश के मंत्री गिरिराज सिंह धर्मेश ने बीएसपी नेता की मौत की वजह बनीं परिस्थितियों की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने की मांग की है. मंत्री ने कहा कि कांशीराम की मृत्यु 9 अक्टूबर 2006 को रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई थी.
आगरा : बहुजन समाज पार्टी (BSP) के संस्थापक कांशीराम की मृत्यु के 13 साल बाद उत्तर प्रदेश के मंत्री गिरिराज सिंह धर्मेश (Girraj Singh Dharmesh) ने बसपा नेता की मौत की वजह बनीं परिस्थितियों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की मांग की है. मंत्री ने कहा कि कांशीराम की मृत्यु 9 अक्टूबर 2006 को रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई थी.
उन्होंने कहा, "मैं जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलूंगा और सीबीआई जांच का औपचारिक अनुरोध करूंगा." मंत्री ने कहा कि कांशीराम की बहन सुवर्णा द्वारा लगाए गए आरोप सीबीआई जांच के लिए पर्याप्त आधार थे.
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पिछले 13 सालों से कांशीराम का परिवार बसपा अध्यक्ष मायावती पर यह आरोप लगा रहा है कि मायावती ने दिग्गज नेता को बंदी बनाकर रखा था, जिससे उनका निधन हुआ. सुवर्णा ने कहा, "मायावती ने कांशीराम की बीमारी में उनसे परिवार को मिलने की इजाजत नहीं दी थी. मेरी मां की मृत्यु हो गई, क्योंकि वह अपने बेटे से मिलना चाहती थी, लेकिन उन्हें भी दूर रखा गया था."
उन्होंने आगे कहा, "2003 में मायावती ने कहा था कि उनके पास कांशीराम के इलाज के लिए पैसे नहीं हैं. मेरी मां ने मायावती को अपनी सोने की चूड़ियां सौंपीं, लेकिन उन्होंने फिर भी हमें उनसे मिलने नहीं दिया." उन्होंने आगे आरोप लगाया कि मायावती ने परिवार को दूर रखा, क्योंकि वह बसपा पर पूरा नियंत्रण चाहती थीं.
परिवार ने मायावती पर कांशीराम की विचारधारा को धोखा देने का भी आरोप लगाया है. सुवर्णा ने कहा, "कांशीराम ने हमेशा अपने परिवार को राजनीति से दूर रखा और भाई-भतीजावाद का समर्थन नहीं किया, लेकिन मायावती ने अपने भाई और भतीजे को बसपा में महत्वपूर्ण स्थान दिलाया."
उन्होंने आगे कहा, "कांशीराम के अनुयायी बसपा को चलाने के तरीके से नाराज हैं. यह पार्टी अब दलित और समाज के हाशिए पर रहने वाले तबके के लिए नहीं है." सूत्रों का दावा है कि सीबीआई जांच के लिए मंत्री की मांग बिना कारण नहीं है. यह स्पष्ट है कि भाजपा मायावती को किनारे करना चाहती है और ऐसा करने के लिए उनके पास यह एक सही मुद्दा है.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "अगर इस मामले में जांच शुरू की जाती है, तो मायावती को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा."