लोकसभा चुनाव 2019: बीजेपी या कांग्रेस नहीं बल्कि ये 2 पार्टियां उड़ा सकती हैं अखिलेश-मायावती की नींद, करनी होगी माथापच्ची
बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जात समुदाय का दबदबा हैं. इस समुदाय पर अजित सिंह और उनके परिवार की अच्छी पकड़ हैं. ऐसे में अखिलेश-मायावती अगर उन्हें सीट नहीं देते हैं तो जाट समुदाय की नाराजगी झेलनी पड़ सकती हैं. इसके आलावा महागठबंधन में निषाद पार्टी को भी प्रतिनिधित्व देना होगा.
लखनऊ: भारतीय सियासत में उत्तर प्रदेश की हमेशा से बहुत अहमियत रही है. सूबे से 80 सांसद निर्वाचित होकर लोकसभा जाते हैं. आम चुनावों में यहां राष्ट्रिय पार्टियों के आलावा क्षेत्रीय पार्टी भी एडी चोटी का दम लगा देती हैं. इस बार भी उत्तर प्रदेश की 80 सीटों के लिए सभी पार्टियों ने फील्डिंग करना शुरू कर दिया है. बीजेपी को रोकने के लिए सूबे की दो बड़ी पार्टी SP और BSP ने हाथ मिला लिया हैं. दोनों पार्टी के बीच महागठबंधन होना लगभग तय है मगर इसमें कांग्रेस को शामिल नहीं किया गया है. वैसे इस महागठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल को भी शामिल किया जाएगा. इसी के चलते राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात भी की.
इस मुलाकात के बाद जयंत चौधरी मीडिया से भी मुखातिब हुए मगर सीट शेयरिंग फार्मूले को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले. उनसे पूछा गया कि क्या गठबंधन में रालोद को मिलने वाली सीटों पर भी चर्चा हुई इस सवाल को उन्होंने टालते हुये कहा ‘‘सीटों की बेचैनी मीडिया को है, सारी बाते साफ होंगी, सस्पेंस बनायें रखे.’’
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गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी और बसपा के बीच हुए गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल का भी अहम हिस्सा है मगर सीटों के बंटवारे को लेकर स्थिति अभी साफ़ नहीं हुई है. सूत्रों की मने तो राष्ट्रीय लोकदल पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 5 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतरना चाहती है. जाट बहुल इस क्षेत्र की मुज़फ्फरनगर सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह चुनाव लड़ना चाहते हैं वहीं, जयंत चौधरी बागपत से चुनावी दंगल में उतरना चाहते हैं. इसके आलावा पार्टी एक दलित समुदाय और एक मुस्लमान समुदाय के प्रत्याशी को टिकट देना चाहती हैं.
बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जात समुदाय का दबदबा हैं. इस समुदाय पर अजित सिंह और उनके परिवार की अच्छी पकड़ हैं. ऐसे में अखिलेश-मायावती अगर उन्हें सीट नहीं देते हैं तो जाट समुदाय की नाराजगी झेलनी पड़ सकती हैं. इसके आलावा महागठबंधन में निषाद पार्टी को भी प्रतिनिधित्व देना होगा.