UP Election 2022: बीजेपी से नहीं मिला टिकट, स्वाति सिंह और मयंक जोशी के पास अब सपा का ऑप्शन?
समाजवादी पार्टी ने लखनऊ की अन्य सभी सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, लेकिन सरोजिनी नगर को खाली रखा गया है. ऐसे में अटकलें लगाईं जा रही हैं कि स्वाति सिंह बीजेपी छोड़ कर हैं और समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकती हैं और सरोजिनी नगर से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं.
बीजेपी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के लिए 17 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की. इस लिस्ट में समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) और बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी (Rita Bahuguna Joshi) के बेटे मयंक जोशी दोनों को भी टिकट नहीं दिया गया है. इसके अलावा मंत्री स्वाति सिंह का इस बार टिकट काटा गया है. उनकी जगह ईडी के पूर्व अधिकारी राजेश्वर सिंह को सरोजिनी नगर से उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं स्वाति सिंह के पति को भी टिकट नहीं दिया गया है. UP Elections 2022: भाजपा ने 17 उम्मीदवारों की नई सूची जारी की, स्वाति सिंह की सीट से राजेश्वर सिंह को बनाया उम्मीदवार.
इस बीच, समाजवादी पार्टी ने लखनऊ की अन्य सभी सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, लेकिन सरोजिनी नगर को खाली रखा गया है. ऐसे में अटकलें लगाईं जा रही हैं कि स्वाति सिंह (Swati Singh) बीजेपी छोड़ कर हैं और समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकती हैं और सरोजिनी नगर से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं.
इस बीच कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते है.रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से अपने बेटे मयंक के लिए टिकट मांग रही थीं, लेकिन उन्हें भी निराशा ही हाथ लगी. ऐसे में अब अटकलें लगाईं जा रही हैं कि अब सपा मयंक जोशी को यहां से टिकट दे सकती है.
समाजवादी पार्टी इस सीट से उम्मीदवार की घोषणा कर चुकी है लेकिन अब पार्टी फिर से रणनीति में बदलाव कर सकती है. इसी के तहत मयंक जोशी को उतारा जा सकता है.
बता दें कि सपा ने इस सीट से 2017 में अपर्णा यादव को उतारा था. उस समय अपर्णा बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी से हार गई थीं. इस बार रीता बहुगुणा जोशी ने यहां से बेटे मयंक को उतारने की मांग की थी. उन्होंने यहां तक कि कह दिया था कि यदि परिवारवाद इसके आड़े आता है तो वह अपनी सांसदी से इस्तीफा देने को भी तैयार हैं. लेकिन बीजेपी ने यहां से बृजेश पाठक को मौका दे दिया.