UP Election: 2017 की सीख ने अखिलेश यादव को 2022 में बनाया मजबूत, सपा की बदल दी इमेज

उत्तर प्रदेश चुनाव में हर दिन अप्रत्याशित और दिलचस्प मोड़ आ रहे हैं. एक ओर बीजेपी की योगी सरकार उत्तर प्रदेश में फिर वापसी का दावा कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर सूबे की सत्ता पाने के लिए मुख्य विपक्षी दल सपा अपने प्रमुख अखिलेश यादव की अगुवाई में हरसंभव कोशिश कर रही हैं.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Photo Credits: Facebook)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) में हर दिन अप्रत्याशित और दिलचस्प मोड़ आ रहे हैं. एक ओर बीजेपी की योगी सरकार उत्तर प्रदेश में फिर वापसी का दावा कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर सूबे की सत्ता पाने के लिए मुख्य विपक्षी दल सपा अपने प्रमुख अखिलेश यादव की अगुवाई में हरसंभव कोशिश कर रही हैं. हालांकि अब तक के राजनीतिक घटनाक्रम को देखा जाएं तो एक बात स्पष्ट है कि समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने 2017 के विधानसभा चुनाव की हार से काफी कुछ सीखा है. UP Elections 2022: चंद्रशेखर के साथ मंच साझा करने पर सपा के पूर्व मंत्री को किया गया बर्खास्त

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 2017 के चुनाव नतीजों से सबक लेकर ही यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए रणनीति तैयार की है. उन्होंने पहले की अपनी सियासी गलतियों को देखते हुए खुद में सुधार किया है और किसी सधे हुए राजनेता की तरह बीजेपी के खिलाफ इस बार सियासी बिसात बिछाई है. यही वजह है कि सपा खुलेआम 2022 के चुनाव में प्रचंड जीत का दावा कर रही है.

2017 के विधानसभा चुनाव में सपा का जनाधार घटने का प्रमुख कारण मुस्लिमों और यादवों की पार्टी वाली छवि को माना जाता रहा है. इसके आलावा टिकट बंटवारे में परिवारवाद का हावी होना भी सपा को सत्ता से दूर लेकर गया था. जबकि कांग्रेस से गठबंधन ने भी सपा के मूल वोटरों को पार्टी से तोड़ने का काम किया था. UP Election 2022: अखिलेश सरकार की वो 5 बड़ी उपलब्धियां, जिन्हें जनता इस बार भी वोट देते समय रखेगी याद

बीते कुछ समय से अखिलेश यादव सपा से मुस्लिमों की पार्टी वाला टैग हटाने की कोशिश कर रहे है. इसके तहत वें उन मुद्दों पर खुलकर बोलने से बच रहे है, जो मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखते है. इसके अलावा हाल ही में अखिलेश ने परशुराम का फरसा उठाकर न केवल ब्राह्मणों को रिझाने का प्रयास किया बल्कि सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि बनाने की भी कोशिश की.

अखिलेश ने सपा को यादववाद के तमगे से बाहर निकालने के लिए भी कई कदम उठाये है. यादव के अलावा अन्य जातियों के वोट हासिल करने के लिए सपा प्रमुख ने यादव नेताओं से दूरी बनाई हुई है, जबकि तमाम पिछड़ी जातियों के नेताओं को साथ मिलाकर सपा की ताकत बढ़ा रहें है.

अधिक से अधिक वोटर लामबंद करने के लिए अखिलेश ने जातीय आधार वाले छोटे दल से गठबंधन कर लिया है. उन्होंने सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश और राजभर समाज में धमक रखने वाली ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा और पश्चिमी यूपी में जाटों और अन्य कुछ जातियों में अपना प्रभाव रखने वाली पार्टी रालोद को सपा गठबंधन में शामिल किया है. इसके अलावा महानदल, जनवादी सोशलिस्ट पार्टी और कृष्णा पटेल के अपना दको भी साथ लिया हुआ है. इतना ही नहीं अखिलेश ने बीजेपी, बसपा, कांग्रेस के बागियों को भी सपा में एंट्री दी है. इसमें स्वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल है. इससे जनता में यह संदेश जा रहा है कि सपा अब केवल यादव और मुस्लिम परस्त पार्टी नहीं रह गई है.

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में सात चरणों में विधानसभा चुनाव होंगे. इन चरणों के तहत 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को मतदान होगा. पहले चरण की शुरूआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों से होगी और धीरे-धीरे कारवां बढ़ते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश पर जाकर समाप्त होगा. जबकि 10 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे.

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