UP Election 2022: अखिलेश यादव के वो 3 हथियार, जो पार करा सकते है सपा की चुनावी नैया
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार रोचक मुकाबला होने के आसार बन रहे है, जहां एक ओर सत्ताधारी बीजेपी के सामने वर्ष 2017 के नतीजों को दोहराने की चुनौती है तो वहीं विपक्ष के लिए जनता का भरोसा जीतकर सत्ता में लौटने का सवाल बना हुआ है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) में इस बार रोचक मुकाबला होने के आसार बन रहे है, जहां एक ओर सत्ताधारी बीजेपी (BJP) के सामने वर्ष 2017 के नतीजों को दोहराने की चुनौती है तो वहीं विपक्ष के लिए जनता का भरोसा जीतकर सत्ता में लौटने का सवाल बना हुआ है. 403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा में वैसे तो इस बार मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच होने के कयास लगाये जा रहे है. वर्ष 2017 के विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 325 सीटों पर भगवा फहराया था और मुख्य विपक्षी दल सपा कुल 47 सीटों पर विजयी हुई थी. जबकि कांग्रेस दहाई और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) 20 के आंकड़े को भी पार नहीं कर पाई थी. UP Election 2022: अखिलेश सरकार की वो 5 बड़ी उपलब्धियां, जिन्हें जनता इस बार भी वोट देते समय रखेगी याद
दिलचस्प बात यह है कि उत्तर प्रदेश के हाल के राजनीतिक घटनाक्रम बीजेपी के लिए सुखद नहीं रहे है. उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्ग के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी का साथ छोड़कर सपा का दामन थाम लिया. यूपी में बीजेपी के शुरूआती चुनाव प्रचार अभियान में बढ़त से समाजवादी पार्टी काफी असहजता महसूस कर रही थी, लेकिन नए साल के शुरू होते ही उसे स्वामी प्रसाद मौर्य के रूप में बड़ा सहारा मिल गया. स्वामी का पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश में उनका पिछड़े वर्गों में काफी प्रभाव माना जाता है. इतना ही नहीं वें अपने साथ सपा में बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं को भी लेकर आये.
इसके आलावा अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव को भी अपने ही समुदाय में वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए साथ लिया है. इसके तहत प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (पीएसपीएल) का समाजवादी पार्टी (सपा) में औपचारिक विलय हो गया. पीएसपीएल के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि वह और उनकी पार्टी के उम्मीदवार सपा पर चुनाव लड़ेंगे.
जबकि पूर्वी यूपी के लिए अखिलेश के पास एक संयोजन है जो सभी गेंद पर छक्का लगाने में सक्षम होने के साथ ही चुनावी बोर्ड पर अच्छा स्कोर भी खड़ा कर सकती है. उनके पास स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा सुभासपा से ओम प्रकाश राजभर भी हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश और राजभर समाज में धमक रखने वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर पहले बीजेपी के ही साथी थे. हालांकि इस बार वों बीजेपी को हराने में अपना पूरा जोर लगा रहे है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार के विधानसभा चुनाव रोचक रहने वाले है क्योंकि किसी भी दल के पक्ष में एकतरफा माहौल नहीं है, वहीं सत्ताधारी दल के खिलाफ असंतोष नजर नहीं आ रहा है. कुल मिलाकर पूरा चुनाव राज्य के नेतृत्व और उम्मीदवारों के चयन पर टिका रहने वाला है. यही कारण है कि सभी दल उम्मीदवारों के चयन को खास महत्व दे रहे है. सरल भाषा में कहा जाये तो इस बार का यूपी विधानसभा चुनाव का रिजल्ट पूरे टीम के प्रदर्शन से तय होगा.