लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) के पांचवें चरण के लिए मतदान रविवार (27 फरवरी) को होगा. जिसके मद्देनजर मतदान कर्मियों के दल संबंधित मतदान केंद्रों पर पहुंच चुके है. इस चरण में 12 जिलों की 61 सीटों के लिए सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक वोटिंग शुरू होगी. इस चरण में राज्य सरकार के कई मंत्री चुनाव मैदान में हैं. मुख्य मुकाबला कौशांबी जिले की सिराथू सीट पर हैं जहां उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) और अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल की बहन पल्लवी पटेल (Pallavi Patel) के बीच कांटे की टक्कर हैं.
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि पोलिंग बूथों पर मतदाताओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसके लिए समुचित व्यवस्था कराने के लिए प्रशासन को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं. साथ ही मतदान के समय कोविड-19 प्रोटोकॉल का भी पूरी तरह से पालन किया जाएगा. अगर भाजपा चुनाव जीत गई तो लोकतंत्र और संविधान खत्म कर देगी: अखिलेश यादव
11 जिलों में होगा मतदान
इस चरण में अवध और पूर्वांचल के 11 जिलों की 61 सीटें पर मतदान होना है. इनमें श्रावस्ती, बहराइच, गोंडा, बाराबंकी, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, कौशांबी, रायबरेली, अमेठी, चित्रकूट और अयोध्या भी शामिल है, जहां राममंदिर का निर्माण एक अहम मुद्दा है.
इन सीटों पर होगी नजर
पांचवें चरण में 693 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के अलावा पांचवें चरण में इलाहाबाद पश्चिम से कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, इलाहाबाद दक्षिण से नंद गोपाल नंदी, प्रतापगढ़ की पट्टी सीट से मोती सिंह जैसे मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है. पूर्व मंत्रियों अवधेश प्रसाद, तेजनारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय, कुंडा से रघुराज प्रताप सिंह मुख्य हैं.
इस चरण में अयोध्या की गोसाईंगंज विधानसभा क्षेत्र में फिर दो बाहुबलियों के बीच सियासी वर्चस्व की जंग चल रही है. दोनों एक-एक बार विधायक रह चुके हैं. बसपा, कांग्रेस सहित अन्य दल मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की जुगत में हैं. बीजेपी से आरती तिवारी, सपा से अभय सिंह, कांग्रेस से शारदा जायसवाल, बसपा से राम सागर वर्मा, आप से आलोक द्विवेदी सहित कुल आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. यह सीट 2012 के चुनाव में वजूद में आई. पहले चुनाव में सपा के अभय सिंह ने बसपा से उतरे इंद्र प्रताप तिवारी खब्बू को शिकस्त दी थी. दोनों की पहचान बाहुबली के रूप में है.
बीजेपी मानती है अपना गढ़!
प्रदेश के इस हिस्से को बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. 2017 में बीजेपी ने यहां की 47 और सहयोगी अपना दल ने तीन सीटें जीती थीं. पांच सीटें बसपा, तीन सपा और एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि इस चरण के साथ ही यूपी चुनाव पूर्वांचल में प्रवेश कर जाएगा. यूपी में सरकार बनाने के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक बहुमत महत्वपूर्ण माना जाता है. जहां एक ओर बीजेपी इस क्षेत्र में अपने 2017 के प्रदर्शन को दोहराने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है, तो वहीं विरोधी दल उसके सपने को तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते.
हालांकि इस बार स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे ओबीसी नेताओं के पार्टी छोड़ सपा में जाने और पूर्व गठबंधन पार्टी ओपी राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के प्रतिद्वंद्वी खेमे में शामिल होने से बीजेपी की पूर्वांचल में जाति समीकरण का गणित गड़बड़ा सकता है. हालांकि बीजेपी इससे साफ इनकार कर रही है. 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश की 164 सीटों में से 115 सीटों पर जीत का परचम फहराया था.