नई दिल्ली: जेएनयू में दो साल पहले अफजल गुरु की बरसी पर हुए हंगामे के मामले में स्टूडेंट उमर खालिद के निष्कासन और कन्हैया कुमार पर जुर्माने को बरकरार रखा. विवादित नारें के बाद खूब हंगामा हुआ था. साथ ही सभी पार्टियों ने इस मामले पर जमकर राजनीति की थी.गौरतलब है कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ यूनिवर्सिटी परिसर में एक कार्यक्रम के आयोजन के मामले में पैनल ने 2016 में खालिद और दो अन्य छात्रों के निष्कासन के आदेश दिए थे और छात्रसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था.
दूसरी तरफ खालिद ने कमिटी के निर्णय का विरोध किया है और इसे मानने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है. साथ ही खालिद ने कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ कोर्ट का रुख करेंगे.
वही अक्टूबर 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने जेएनयू की एक अपील को दरकिनार कर दिया था जिसमें विश्वविद्यालय के 15 छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी. इन छात्रों पर आरोप था कि इन्होंने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की बरसी पर 9 फरवरी 2016 को एक कार्यक्रम का आयोजन किया था.
गौरतलब है कि 9 फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में हुए एक कार्यक्रम में कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगे थे. इस मामले में जेएनयू छात्रसंघ के उस समय के अध्यक्ष कन्हैया और उनके दो साथियों उमर ख़ालिद और अनिर्बन को गिरफ़्तार किया गया था. हालांकि तीनों बाद में ज़मानत पर छूट गए. मगर कन्हैया कुमार इससे पहले 23 दिन जेल में रहे. उनकी गिरफ्तारी पर देशभर में प्रदर्शन देखने को मिला था. जेएनयू की इस जांच समिति ने आरोपी 21 छात्रों को अनुशासन तोड़ने का दोषी पाया था.