
अमेरिका ने यूक्रेनी नेतृत्व से बैठक के बाद सैन्य और खुफिया मदद बहाल कर दी है. साथ ही 30 दिनों के संघर्ष-विराम पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी है. अमेरिका ने कहा कि फैसला अब रूस को लेना है.अमेरिका, यूक्रेन को फिर से सैन्य मदद देने और खुफिया जानकारी साझा करने के लिए राजी हो गया है. 11 मार्च को सऊदी अरब के तटीय शहर जेद्दाह में यूक्रेन और अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के बीच यूक्रेन युद्ध और शांति समझौते पर बात हुई. बैठक में अमेरिका ने यूक्रेन-रूस के बीच 30 दिन के संघर्ष विराम प्रस्ताव दिया, जिस पर यूक्रेन ने सहमति जताई.
सऊदी अरब की मध्यस्थता में दोनों पक्षों के बीच करीब आठ घंटे बातचीत हुई. इस बैठक के बाद अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा कि "गेंद अब मॉस्को के पाले में है." उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी रूसी 'हां' में उतर देंगे ताकि हम इसके दूसरे चरण की तरफ बढ़ें, जो कि असल बातचीत है." उनका इशारा अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की मौजूदगी में होने वाली बातचीत की ओर था.
रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर सैन्य हमला शुरू किया था और वह 2014 में अलग किए क्रीमिया समेत, यूक्रेन के लगभग 20 प्रतिशत इलाके में दाखिल हो चुका है. रूबियो ने कहा कि अमेरिका, रूस-यूक्रेन के बीच जितनी जल्दी हो सके, एक पूर्ण समझौता चाहता है.
रूस की प्रतिक्रिया
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा है कि प्रस्तावित संघर्ष-विराम उन्हें मंजूर है या नहीं, इस पर टिप्पणी करने से पहले उन्हें अमेरिकी-यूक्रेनी बातचीत पर अमेरिका की तरफ से जानकारी मिलना जरूरी है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ट्रंप के बीच फोन कॉल की संभावना पर उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर इसकी (फोन कॉल की) बहुत जल्द व्यवस्था की जा सकती है.
पुतिन कह चुके हैं कि वह शांति समझौते पर बात करने के लिए तैयार हैं. हालांकि, उन्होंने और उनके राजनयिकों ने लगातार कहा है कि वे संघर्ष-विराम के खिलाफ हैं और एक ऐसा समझौता चाहते हैं जिसमें रूस की दीर्घकालिक सुरक्षा निहित हो.
पुतिन ने 20 जनवरी को रूस की सुरक्षा परिषद से कहा था कि "कोई अल्पकालिक युद्धविराम नहीं होना चाहिए, ना ही संघर्ष को जारी रखने के मकसद से सेनाओं को फिर से संगठित करने और दोबारा हथियाबंद होने के लिए किसी तरह का विराम होना चाहिए. बल्कि दीर्घकालिक शांति होनी चाहिए." उन्होंने जमीन वापसी की किसी भी तरह की संभावनाओं को खारिज कर दिया है. पुतिन ने यूक्रेन को उन इलाकों से हटने के लिए भी कहा है, जिन्हें रूस अपना बताता है या जिन पर रूस का आंशिक नियंत्रण है.
रूसी संसद के ऊपरी सदन की अंतरराष्ट्रीय मामलों की समिति के प्रमुख कोंस्टान्टिन कोसाचेव ने कहा कि "समझौते की जरूरत को समझते हुए भी- कोई भी समझौता हमारी शर्तों पर होगा, अमेरिकी शर्तों पर नहीं." अमेरिका और यूक्रेन के बीच हुई बातचीत के बाद रूस के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी प्रतिनिधियों के साथ संपर्क की संभावना को खारिज नहीं किया है.
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की भी जेद्दाह में थे लेकिन वह बातचीत की मेज पर नहीं बैठे. उन्होंने कहा है कि संघर्ष-विराम एक "सकारात्मक प्रस्ताव" था जिसमें सिर्फ हवा और समुद्री मार्ग से जंग नहीं, बल्कि संघर्ष में फ्रंटलाइन की बात भी है.
क्या रूस सहमत होगा?
जेलेंस्की ने कहा है कि जितनी जल्दी रूस सहमत होता है, उतनी जल्दी संघर्ष विराम लागू हो सकता है. उन्होंने कहा,"जब समझौते लागू होंगे तो इन 30 दिनों की 'खामोशी' के दौरान, हमारे पास अपने साथियों के साथ मिलकर दस्तावेजों के स्तर पर विश्वसनीय शांति और दीर्घकालिक सुरक्षा के सभी पहलुओं पर काम करने का समय होगा."
रूबियो ने कहा कि यह योजना कई माध्यमों से रूसियों तक पहुंचाई जाएगी. ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज आने वाले दिनों में अपने रूसी समकक्ष से मिल सकते हैं. साथ ही खबरें हैं कि ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ इस हफ्ते पुतिन से मिलने के लिए मॉस्को जा सकते हैं.
11 मार्च को राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वे जल्द युद्धविराम की उम्मीद करते हैं और इस हफ्ते पुतिन से बात करने की भी सोच रहे हैं. अपने करीबी सलाहकार और कारोबारी इलॉन मस्क की टेस्ला कार कंपनी को समर्थन देने के लिए व्हाइट हाउस के एक कार्यक्रम में उन्होंने पत्रकारों से कहा, "मुझे उम्मीद है कि यह अगले कुछ दिनों में होगा."
कड़वी बैठक के बाद फिर साथ की उम्मीद
ट्रंप लंबे समय से यूक्रेन को मदद देने की अमेरिकी नीति के आलोचक रहे हैं. 28 फरवरी को व्हाइट हाउस में उनके और जेलेंस्की के बीच बैठक हुई थी. जिसके बाद अमेरिका ने सैन्य मदद रोकने और खुफिया जानकारी साझा नहीं करने की घोषणा की थी.
मंगलवार, 11 मार्च को जारी एक संयुक्त बयान में दोनों देशों ने कहा कि वे यूक्रेन के अहम खनिज संसाधनों को विकसित करने के लिए एक व्यापक समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने पर सहमत हुए हैं. ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि वह जेलेंस्की को फिर से व्हाइट हाउस में आमंत्रित करेंगे. वहीं यूक्रेनी अधिकारियों ने मंगलवार देर रात कहा कि अमेरिका की ओर से सैन्य सहायता और खुफिया जानकारी फिर से मिलनी शुरू हो गई है. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज ने कहा कि यूक्रेन के लिए सैन्य मदद की फिर बहाली में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के मंजूर किए और ट्रंप की ओर से रोके गए उपकरण भी शामिल होंगे.
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि अमेरिका और यूक्रेन ने "यूक्रेन की अर्थव्यवस्था का विस्तार करने, अमेरिकी सहायता की लागत की भरपाई और यूक्रेन की समृद्धि और सुरक्षा की दीर्घकालिक गारंटी देने के लिए यूक्रेन के अहम खनिज संसाधनों को विकसित करने के एक व्यापक समझौते पर भी सहमति जताई है." ट्रंप और जेलेंस्की के बीच 28 फरवरी की बैठक में इस समझौते पर दस्तखत होने थे लेकिन इसके उलट यह बैठक एक कूटनीतिक आपदा साबित हुई.
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यूरोपीय साझेदारों का रुख
रॉयटर्स के मुताबिक, जेलेंस्की के एक शीर्ष सहयोगी ने बताया कि यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी के विकल्पों पर अमेरिकी अधिकारियों के साथ बातचीत हुई है. सुरक्षा गारंटी कीव के सबसे अहम मकसदों में से एक रही है और कुछ यूरोपीय देशों ने जरूरत पड़ने पर गारंटी के तौर पर यूक्रेन में सैनिक भेजने की इच्छा जताई है.
संयुक्त बयान में, यूक्रेन ने दोहराया कि शांति प्रक्रिया में यूरोपीय साझेदारों को शामिल किया जाना चाहिए. नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री रहे, नाटो के महासचिव मार्क रुट्टे 13 मार्च को व्हाइट हाउस में होंगे. माना जा रहा है कि इस दौरान यूरोपीय साझेदारों को शांति वार्ता की मेज पर जगह देने की बात हो.
जेद्दाह में हुई बातचीत में शामिल यूक्रेनी विदेश मंत्री आंद्रि सिबिहा ने कहा कि उन्होंने कई यूरोपीय देशों के विदेश मंत्रियों से "इस अहम बैठक के नतीजों पर" बात की. बुधवार, 12 मार्च को सिबिहा पोलैंड पहुंचे, जो यूक्रेन का पड़ोसी है और नाटो का सदस्य भी. जंग की शुरुआत से पोलैंड, यूक्रेन का पक्का समर्थक रहा है. पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टुस्क ने कहा, "ऐसा लगता है कि अमेरिकियों और यूक्रेनियों ने शांति की दिशा में एक अहम कदम उठाया है. और यूरोप न्यायपूर्ण और स्थायी शांति हासिल करने में मदद करने के लिए तैयार है."
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यूक्रेन-रूस सीमा पर स्थिति
कूटनीति के साथ-साथ, यूक्रेन के मोर्चे पर भी भारी दबाव दिख रहा है. खासकर रूस के कुर्स्क इलाके में जहां मॉस्को की सेना ने कीव के सैनिकों को बाहर निकालने के लिए एक मुहिम शुरू की हुई है. यूक्रेन भविष्य में सौदेबाजी के लिए रूसी जमीन का यह टुकड़ा रखने की कोशिश कर रहा था. 12 मार्च को रूस ने दावा किया है कि वह "कुर्स्क के हिस्सों को 'आजाद' करवा रहा है."
10 मार्च की रात यूक्रेन ने मॉस्को और आसपास के इलाकों पर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया, जो दिखाता है कि कीव भी बड़े झटके दे सकता है. रूस का दावा है कि उसने इस हमले में 337 ड्रोन गिराए हैं. इस हमले में एक मीट गोदाम के कम-से-कम तीन कर्मचारी मारे गए और मास्को के चार हवाई अड्डों पर थोड़े समय के लिए उड़ानें रोकनी पड़ीं.
आरएस/एनआर (रॉयटर्स, डीपीए)