Maharashtra: एकनाथ शिंदे को नक्सलियों से था खतरा, फिर भी उद्धव ने नहीं दी थी सुरक्षा: बागी विधायकों का दावा

शिवसेना के तीन बागी विधायकों ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को नक्सलियों से खतरा होने के बावजूद ‘जेड’ श्रेणी का सुरक्षा कवच देने से मना कर दिया था.

एकनाथ शिंदे (Photo: Twitter)

मुंबई, 22 जुलाई: शिवसेना के तीन बागी विधायकों ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को नक्सलियों से खतरा होने के बावजूद ‘जेड’ श्रेणी का सुरक्षा कवच देने से मना कर दिया था. हालांकि, ठाकरे-नीत पूर्ववर्ती सरकार के दौरान गृह विभाग में राज्यमंत्री रहे सतेज पाटिल ने इस आरोप का खंडन किया है. Delhi: 52 सालों तक RSS ने अपने मुख्यालय पर तिरंगा क्यों नहीं फहराया, राहुल गांधी ने सरकार से पूछे सवाल

शिंदे अब मुख्यमंत्री हैं और वह तत्कालीन ठाकरे सरकार में शहरी विकास मंत्री होने के साथ ही नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले के ‘गार्डियन मंत्री’ भी थे. पुलिस के अनुसार, गढ़चिरौली में पुलिस की कार्रवाई में 26 नक्सलियों की मौत होने के दो महीने बाद, फरवरी 2022 में शिंदे को धमकी भरा पत्र मिला था.

शिवसेना विधायक और शिंदे के समर्थक, सुहास कांदे और पूर्व गृह राज्यमंत्री (ग्रामीण) शंभूराज देसाई ने एक समाचार चैनल से कहा कि ठाकरे ने शिंदे की सुरक्षा नहीं बढ़ाने का निर्देश दिया था. कांदे ने दावा किया कि पुलिस ने ठाकरे और तत्कालीन गृह मंत्री (राकांपा के दिलीप वलसे पाटिल) को सूचना दी थी कि नक्लसी शिंदे की हत्या के इरादे से मुंबई आए थे.

उन्होंने सवाल उठाया, “तब भी उन्हें सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई गई. हिंदुत्व-विरोधी लोगों को सुरक्षा दी गई थी, लेकिन हिंदुत्ववादी नेता को (सुरक्षा) क्यों नहीं दी गई?” उसी टीवी चैनल को देसाई ने बताया कि उन्हें ठाकरे ने कॉल करके पूछा था कि क्या गृह विभाग ने शिंदे की सुरक्षा बढ़ाने को लेकर कोई बैठक बुलाई है.

उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें बताया था कि उस दिन एक बैठक होने वाली थी. मुझे स्पष्ट आदेश दिए गए थे कि सुरक्षा नहीं बढ़ाई जा सकती.” शिवसेना के शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने संवाददाताओं से कहा कि देसाई ने उन्हें बताया था कि उन्हें एक दिन सुबह आठ बजे कॉल आई थी और निर्देश दिया गया था कि शिंदे की सुरक्षा नहीं बढ़ाई जानी चाहिए. केसरकर ने यह नहीं बताया कि यह कॉल किसने की थी.

इस बीच, ठाकरे सरकार में गृह राज्यमंत्री (शहरी) रहे कांग्रेस नेता सतेज पाटिल ने संवाददाताओं से कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति यह निर्णय करती है कि किसको किस स्तर की सुरक्षा दी जानी चाहिए और गृह विभाग या मुख्यमंत्री भी उनके निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करते.

पाटिल ने कहा, “ऐसी बैठकों में शंभूराज देसाई और मेरे कहने का कोई असर नहीं होता. शिंदे शिवसेना के साथ थे, मुख्यमंत्री उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं मुहैया करवाते? गढ़चिरौली जिले के गार्डियन मंत्री के तौर पर शिंदे के पास अतिरिक्त पुलिस सुरक्षा थी. मुझे नहीं लगता कि इन आरोपों में कोई सच्चाई है.” विधान परिषद के सदस्य और ठाकरे गुट के समर्थक सचिन अहीर ने भी इन आरोपों का खंडन किया. उन्होंने कहा कि किसी को सुरक्षा देने के मसले पर एक समिति निर्णय लेती है.

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