इंदौर : शिवसेना (Shiv Sena) प्रमुख उद्धव ठाकरे की 16 जून को प्रस्तावित अयोध्या यात्रा से पहले, विश्व हिंदू परिषद (Vishva Hindu Parishad) ने कहा है कि मंदिर निर्माण के मुद्दे को लेकर किसी भी दल को राजनीति नहीं करना चाहिए. वीएचपी के एक शीर्ष नेता ने बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल शिवसेना को यह सलाह भी दी कि उसे केंद्र सरकार को राम मंदिर मुद्दे पर रचनात्मक सुझाव देने चाहिए.
वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने कहा, 'वैसे तो राम मंदिर मुद्दे पर होने वाली दलीय राजनीति से हमें कोई लेना-देना नहीं है लेकिन मेरा मानना है कि इस मुद्दे पर किसी भी दल को राजनीति नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यह विषय करोड़ों हिंदुओं की गहरी आस्था से जुड़ा है.'
शिवसेना प्रमुख की आगामी अयोध्या यात्रा के बारे में पूछे जाने पर वीएचपी के शीर्ष नेता ने कहा, 'अयोध्या विवाद की वर्तमान स्थिति को देखते हुए शिवसेना को सरकार को ऐसे रचनात्मक सुझाव देने चाहिए जिससे राम जन्मभूमि पर संवैधानिक दायरे में मंदिर निर्माण की राह प्रशस्त हो सके. शिवसेना को यह भी बताना चाहिए कि इस विषय में वह खुद क्या कर रही है?'
अयोध्या विवाद के मुकदमे के सुप्रीम कोर्ट में लम्बित होने के बीच राम मंदिर मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार से वीएचपी की अपेक्षाओं के बारे में पूछे जाने पर कोकजे ने कहा, 'हम हमेशा से इस बात के पक्ष में रहे हैं कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर संवैधानिक दायरे में मंदिर बनाया जाना चाहिए. सामाजिक सद्भावना और करोड़ों लोगों की आस्था को दृष्टिगत रखते हुए सरकार को वह हरसंभव कदम उठाना चाहिए जिससे अयोध्या मसले का कानूनी समाधान जल्द से जल्द निकल सके.'
मध्यप्रदेश और राजस्थान हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ने जोर देकर कहा, 'अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की हमारी मांग संवैधानिक और कानूनी रूप से पूरी तरह जायज है.' उन्होंने यह भी बताया कि वीएचपी के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की हरिद्वार में 19 और 20 जून को आयोजित बैठक में राम मंदिर मुद्दे पर हिन्दू संगठन की आगामी रणनीति तय की जाएगी.
इसमें वीएचपी पदाधिकारियों के साथ देश भर के साधु-संत भी मौजूद रहेंगे. कोकजे ने एक सवाल पर कहा कि हाल के लोकसभा चुनावों में देश के लोगों ने परिपक्व तरीके से मतदान किया और वे राम मंदिर मुद्दे की मौजूदा वस्तुस्थिति से भी पूरी तरह अवगत हैं. उन्होंने कहा, 'देश में हाल के दिनों में जो वातावरण बदला है, वह राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की अवधारणा के हित में है.'