Madhya Pradesh Congress Crisis: मध्य प्रदेश में सत्ता गवां चुकी कांग्रेस की हालत खराब, आमने सामने हो सकते है कमलनाथ-दिग्विजय समर्थक
कांग्रेस (Photo Credits: PTI)

भोपाल, 16 मार्च : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में सत्ता से बाहर कांग्रेस (Congress) में एक बार फिर भीतरी टकराव बढ़ने के आसार बनने लगे हैं क्योंकि हिंदू महासभा के बाबूलाल चौरसिया को पार्टी की सदस्यता दिलाने पर हमलावर हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता मानक अग्रवाल (Manak Aggarwal) को छह साल के लिए निष्कासित किया गया है. यह भी पढ़े:  मध्य प्रदेश: कांग्रेस नेता मानक अग्रवाल 6 साल के लिए प्राथमिक सदस्यता से निलंबित

राज्य में कांग्रेस की हमेशा पहचान गुटों के कारण रही है, मगर विधानसभा के चुनाव से पहले पार्टी की कमान कमलनाथ को सौंपे जाने के बाद स्थितियां बदली थी और यही कारण था कि कांग्रेस ने विधानसभा के चुनाव में जीत दर्ज कर सत्ता हासिल की थी. महज 15 माह में ही हालात बिगड़े और कमलनाथ सरकार की विदाई हो गई, ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर अपने तत्कालीन 22 विधायकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया था.

सत्ता से बाहर होने के बाद कांग्रेस अपनी जमीनी स्थिति को लगातार मजबूत करने में लगी है मगर इसी बीच हिंदू महासभा के नेता बाबूलाल चौरसिया को पार्टी की सदस्यता दिलाई जाने के बाद विरोध में आवाजें उठने लगी. पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन, विधायक लक्ष्मण सिंह, पूर्व मंत्री सुभाष कुमार सोजतिया सहित अनेक नेताओं ने चौरसिया को पार्टी में शामिल किए जाने पर सवाल उठाए. सभी ने गांधी की रीति नीति पर चलने वाली कांग्रेस में गेाडसे समर्थक का अपरोक्ष रूप से विरोध किया था, वही पूर्व मीडिया विभाग के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी मानक अग्रवाल ने सीधे तौर पर कमल नाथ पर हमला बोला. यह मामला अनुशासन समिति में गया और अग्रवाल को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिए गए.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मानक अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई कर पार्टी ने उन नेताओं को संकेत दिया है जो सवाल उठाते हैं और उन्हें अनुशासन के दायरे में रहने की हिदायत भी दी है, तो वही इससे पार्टी के अंदर असंतोष गहरा जाए तो अचरज नहीं होगा, क्योंकि अग्रवाल की पहचान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी के तौर पर है. ऐसे में दिग्विजय समर्थक और कमलनाथ समर्थक आमने सामने तक हो सकते हैं.

राज्य के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने मानक अग्रवाल को पार्टी से निष्कासित किए जाने पर चुटकी ली है और कहा, "गोडसे मामले में कांग्रेस नेता माणक अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें 'अमानक' बना दिया गया. लेकिन इसी मुददे पर मुखर विरोध करने वाले 'समरथ' अरुण यादव के खिलाफ कुछ कहने की भी हिम्मत नहीं हुई. लगता है कांग्रेस में अब गोडसे की घुट्टी सख्ती से पिलाई जा रही है."

पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि मानक अग्रवाल ने सीधे तौर पर पार्टी प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ पर हमला किया था, उन्हें इससे बचना चाहिए था, वहीं पार्टी को कार्रवाई करने से पहले उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाना चाहिए था. इस कार्रवाई से यही संदेश गया है कि पार्टी ने एकतरफा फैसला लिया है. यह स्थिति पार्टी के लिए अच्छी नहीं है क्योंकि आने वाले समय में नगरी निकाय और पंचायत के चुनाव होने वाले हैं. इससे पार्टी में बिखराव ही बढ़ेगा न कि एकजुटता आएगी.