
जर्मनी के नए विदेश मंत्री योहान वाडेफुल ने फ्रांस और पोलैंड के साथ बेहतर रिश्तों पर जोर देते हुए कहा है कि उनकी विदेश नीतियों में भी इस रिश्ते की मजबूती झलकेगी."मैं जर्मन विदेश मंत्रीयोहान वाडेफुल को और बेहतर तरीके से जानने का इच्छुक हूं”, ऐसा कहना है लक्जेमबर्ग के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री साविए बेत्तेल का. उन्होंने आगे कहा, "मैंने उन्हें शुभकामना और ऐसे ही डटे रहने का संदेश भी भेज दिया है.”
फिनलैंड की विदेश मामलों की मंत्री एलिना वाल्तोनेन ने कहा कि उन्हें खुशी है कि जर्मनी को एक बार फिर "एक्शन लेने का माद्दा रखने वाली सरकार" मिली है.
पोलैंड के वॉरसॉ में यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक में कई लोगों ने जर्मनी के नए विदेश मंत्री के बारे में पूछे जाने पर इसी तरह की बातें कहीं. योहान वाडेफुल के लिए यह बैठक पदभार संभालने के बाद उनकी पहली यूरोपीय संघ-स्तरीय वार्ता थी.
फूक फूक कर रख रहे कदम
उसने पहले जर्मनी की विदेश मंत्री रहीं ग्रीन पार्टी नेता अनालेना बेयरबॉक को सुन कर लगता था, जैसे कि वो अपना बयान अच्छी तरह से याद करके आईं हों. लेकिन वाडेफुल ने पेरिस और फिर वॉरसॉ में रिपोर्टरों से जैसे बात की उसमें काफी सहजता और आत्मविश्वास की झलक दिखी.
वाडेफुल पेरिस से सीधे वॉरसॉ पहुंचे और वो भी अपने फ्रांसीसी सहयोगी ज्यॉं-नोएल बारो के साथ. उन्होंने इस बात पर खासा जोर दिया कि वो बारो के साथ एक ही विमान से आए हैं. दोनों कैमरे के सामने भी साथ-साथ दिखाई दिए.
इन सभी तस्वीरों और दृश्यों का यही मतलब है कि वाडेफुल दिखाना चाहते हैं कि नई जर्मन सरकार फ्रांस और पोलैंड के साथ संबंधों को फिर से गहराने की कोशिश कर रही है. वाडेफुल ने इन दो देशों को जर्मनी के सबसे करीबी दोस्त भी बताया. वाडेफुल ने वॉरसॉ में कहा कि उनके "रिश्ते की मजबूती उनकी विदेश नीतियों में भी झलकेगी.”
पेरिस और वॉरसॉ के साथ बेहतर होते संबंध
बारो ने जोर देकर कहा कि यूरोप बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है और यूक्रेन-रूस युद्ध इसके लिए एक अग्निपरीक्षा है. उन्होंने कहा कि वो ‘फ्रैंको-जर्मन' रिश्ते के जरिए यूरोप को नए मुकाम तक पहुंचाना चाहते हैं ताकि लोग उन पर भरोसा कर पाएं.
फ्रांस भी जर्मनी में बनी नई गठबंधन सरकार के साथ गहरे सहयोग की उम्मीद कर रहा है, चाहे वह रक्षा नीति हो या फिर आर्थिक नीति. फ्रैंको-जर्मन इंस्टिट्यूट के उप निदेशक श्टेफान जाइडेनडोर्फ कहते हैं, "माक्रों जिस साथी का 2017 से इंतजार कर रहे थे, वह आखिरकार आ ही गया.”
एक अच्छे साथी का इंतजार हुआ खत्म
ऐसी बैठकों के बाद भी जाइडेनडोर्फ को लगता है कि यह रास्ता उतना भी आसान नहीं होगा जितना लग रहा है. उन्होंने बताया कि यह सब सोचने में सुहाना तो लग रहा है लेकिन बर्लिन और पेरिस के एजेंडा अभी भी कई क्षेत्रों में अलग-अलग हैं. जैसे दोनों के बीच एक बड़ा सवाल यह है कि यूरोप में सभी देशों की रक्षा पर कितना धन लगाया जाए. लेकिन, वाडेफुल का खुद अपने सहयोगियों के साथ इस पर बातचीत करना फ्रांस को पसंद आया.
वॉरसॉ में यूरोपियन काउंसिल इन फॉरेन रिलेशंस (ईसीएफआर) के प्रमुख पियोत्र बुरास ने डीडब्ल्यू को बताया कि जर्मनी का पोलिश सरकार के साथ व्यक्तिगत नीतिगत क्षेत्रों में टकराव दिख रहा है. उन्होंने जर्मनी के प्रवासियों को लेने से मना कर देने वाली बात का जिक्र किया और यह भी कहा कि जर्मनी अब अपनी सीमाओं को ज्यादा नियंत्रित करेगा.
‘जर्मनी फर्स्ट' का संदेश?
बुरास ने कहा कि पोलैंड शेंगेन क्षेत्र में उठाए गए उन सभी कदमों की आलोचना कर रहा है, जिन्हें यूरोपीय संघ के कानून के अनुरूप नहीं माना जाता है. उन्हें लगता है कि जर्मनी को देखकर पोलैंड में दक्षिणपंथी दल भी इसी तर्ज पर बात करना शुरू कर सकते हैं. बुरास ने आलोचना करते हुए कहा कि जिस तरह से जर्मन चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स ने "ट्रंप की तरह" बातें की हैं, उससे यह लगता नहीं कि पड़ोसी राज्यों के हितों को ध्यान में रखा गया है.
इसके बजाय, इसे एक तरह के "जर्मनी फर्स्ट" के संदेश जैसा देखा गया. बुरास को लगता है कि इन सबमें जर्मनी के नए विदेश मंत्री के लिए एक अवसर है. बुरास ने कहा कि पोलैंड और अन्य यूरोपीय संघ के भागीदारों के साथ मिलकर यूरोपीय स्तर पर अनियमित आप्रवासन की समस्या को हल करने के लिए "वाडेफुल को पहल करनी चाहिए". यह काम वो गैर-यूरोपीय संघ के देशों के साथ नए समझौतों के जरिए कर सकते हैं
वाडेफुल की नियुक्ति पोलैंड के लिए अच्छी खबर
बुरास ने कहा कि विदेश मंत्री के रूप में वाडेफुल की नियुक्ति "पोलैंड के लिए बहुत अच्छी बात है, क्योंकि वह जर्मनी के उन कुछ राजनेताओं में से एक हैं जो देश को जानते और समझते हैं,". उन्होंने वाडेफुल को "एक विनम्र व्यक्ति बताया जो जुमलों के लिए नहीं, बल्कि संवेदनशीलता दिखाने के लिए जाने जाते हैं."
वॉरसॉ में वाडेफुल ने इस बात पर जोर दिया कि वह जर्मन-पोलिश मित्रता के लिए आभारी हैं. उन्होंने कहा, "नाजी जर्मनी के राज में किसी भी यूरोपीय शहर ने वॉरसॉ जितनी बर्बरता नहीं सही. यह एक कर्ज हमपर जिंदगी भर रहेगा.”
वाडेफुल ने इस बात पर जोर दिया कि जर्मन सरकार जर्मन-पोलिश संबंधों को एक "नया आयाम" देना चाहती है. इस बात को साबित करने के लिए उन्होंने उस फुटबॉल मैच का भी जिक्र किया जो उन्होंने पोलिश विदेश मंत्री रादेक श्कोरस्की के साथ देखा था. उन्होंने कहा कि वे भविष्य में ऐसा दोबारा करना चाहेंगे.