नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने गुजरात में कराए गए कथित फर्जी मुठभेड़ों और जज लोया सहित अन्य की संदिग्ध मौतों के मामलों में न्यायिक फैसलों को लेकर मोदी सरकार पर कटाक्ष किया. कांग्रेस (Congress) ने इन मामलों की जांच की मांग की थी, लेकिन न्यायपालिका के स्वभाव में ऐसा बदलाव लाया गया है कि वह जांच की मांगों को ही खारिज करती चली जा रही है.
राहुल ने कटाक्ष करते हुए कहा, "इन्हें किसी ने नहीं मारा..वे बस मर गए." उनहोंने एक ट्वीट (Tweet) में कहा, "इन्हें किसी ने नहीं मारा.. हरेन पांड्या (Haren Pandya), तुलसीराम प्रजापति (Tulsiram Prajapati), न्यायाधीश लोया, प्रकाश थाब्रे (Prakash Thabre), श्रीकांत खांडेलकर (Sreekant Khandekar), कौसर बी (Kausar Bi), सोहराबुद्दीन शेख को.. वे बस मर गए."
राहुल ने यह टिप्पणी विशेष सीबीआई अदालत द्वारा सोहराबुद्दीन शेख (Sohrabuddin Sheikh), उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की हत्या और उसकी पत्नी के साथ दुष्कर्म, फिर हत्या जैसे सनसनीखेज मामले में 22 आरोपियों को बरी कर दिए जाने के अगले दिन की है. कथित 'फर्जी मुठभेड़' के 12 सालों बाद यह बहुप्रतीक्षित फैसला आया है.
भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah), जो उस समय गुजरात के गृहमंत्री थे और पुलिस महकमा उनके अधीन था, उनके तत्कालीन राजस्थान के समकक्ष जी.सी. कटारिया (G.C. Kataria), हाई प्रोफाइल एटीएस प्रमुख और डीआईजी डी. जी. वंजारा, पुलिस अधीक्षक एम. एन. दिनेश (M.N.Dinesh) और आर.के. पंडियन (R.K.Pandian) मुख्य आरोपियों में से थे, जिन्हें इस मामले में अदालत ने बरी कर दिया है.
कांग्रेस ने पिछले महीने इस मामले की सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग की थी, क्योंकि सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले के एक प्रमुख गवाह द्वारा यह दावा किए जाने कि वंजारा ने हरेन पंड्या को मारने की सुपारी दी थी, जो गुजरात (Gujarat) की तत्कालीन भाजपा सरकार में अमित शाह से पहले गृहमंत्री थे. पार्टी ने सीबीआई अदालत में गवाह आजम खान के बयान का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि सोहराबुद्दीन जानता था कि 'पंड्या की योजना बनाकर हत्या की गई थी. इसलिए उसे खत्म करबा दिया गया.'
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खान ने कहा था कि शेख ने उसे बताया था कि उसे वंजारा से गुजरात के गृहमंत्री को मारने का ठेका मिला है और 'उसने अपना काम पूरा किया.' खान, शेख और तुलसीराम प्रजापति का सहयोगी था. उसने यह भी दावा किया कि जब उसने यह जानकारी सीबीआई के जांचकर्ता को 2010 में दी, तो अधिकारी ने इसे उसके बयान का हिस्सा नहीं बनाया. गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री हरेन पंड्या की अहमदाबाद में 26 मार्च 2003 को हत्या कर दी गई थी.