जम्मू-कश्मीर: पाकिस्तान द्वारा शांतिभंग की कोशिशों के बीच सुरक्षा बल सतर्क, नागरिकों पर हुए आतंकी हमलों और पत्थरबाजी

जम्मू एवं कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तान द्वारा बार-बार राज्य में शांति भंग करने के प्रयासों के बावजूद 40 दिनों के बाद भी सुरक्षा बलों ने स्थिति पर नियंत्रण बनाया हुआ है. राज्य प्रशासन और सेना के अनुसार, नागरिकों पर छिट-पुट आतंकी हमलों और पत्थरबाजी की कुछ घटनाओं के बावजूद कश्मीर घाटी शांतिपूर्ण रही है.

फाइल फोटो (Photo Credits: PTI)

जम्मू एवं कश्मीर (Jammu-Kashmir) का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तान (Pakistan) द्वारा बार-बार राज्य में शांति भंग करने के प्रयासों के बावजूद 40 दिनों के बाद भी सुरक्षा बलों ने स्थिति पर नियंत्रण बनाया हुआ है. राज्य प्रशासन और सेना के अनुसार, नागरिकों पर छिट-पुट आतंकी हमलों और पत्थरबाजी की कुछ घटनाओं के बावजूद कश्मीर घाटी शांतिपूर्ण रही है.

संसद ने छह अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत जम्मू एवं कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जा को खत्म कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित कर दिया था. केंद्र के ऐतिहासिक कदम के बाद हिंसा के डर से जम्मू एवं कश्मीर में अभूतपूर्व रूप से सुरक्षा बढ़ा दी गई थी, जिसमें केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 28,000 अतिरिक्त सैनिक तैनात कर दिए गए थे.

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तब से प्रतिबंधों को हालांकि काफी हद तक कम कर दिया गया है लेकिन सुरक्षा बलों ने शांति भंग करने के प्रयासों की बड़ी घटनाओं को अंजाम नहीं होने दिया है. जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने 12 सितंबर को एक बड़े संभावित आतंकी हमले को नाकाम कर दिया, जब खुफिया सूचना मिलने पर पुलिस ने एक ट्रक को रोक लिया, जिसमें छह एके रायफलों, छह मैग्जीनों और 180 गोलियों समेत भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद पकड़ा गया.

यह ट्रक पंजाब के पठानकोट से कश्मीर घाटी जा रहा था जब उसे जम्मू क्षेत्र के कठुआ इलाके से पकड़ा गया. पुलिस ने ट्रक में सवार पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के तीन आतंकवादियों को भी गिरफ्तार किया. जेईएम ने इसी साल 14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा जिला में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती बम हमला किया था, जिसमें सीआरपीएप के 40 जवान शहीद हो गए थे.

जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन तथा सेना के अनुसार, इस दौरान आतंकवादी हमलों या पत्थरबाजी की घटनाओं में कुल मिलाकर पांच नागरिकों की मौत हुई है. अगस्त के तीसरे सप्ताह में आतंकवादियों ने बकरवाल समुदाय के दो घुमंतुओं अब्दुल कादिर कोहली और मंजूर अहमद कोहली की हत्या कर दी थी. अनंतनाग में 25 अगस्त को पत्थरबाजों ने एक लॉरी चालक नूर मोहम्मद डार (42) की हत्या कर दी थी.

आतंकवादियों ने 29 अगस्त को श्रीनगर के परिमपोरा में एक दुकानदार गुलाम मोहम्मद (65) की हत्या कर दी. एक अन्य नागरिक असरार अहमद खान छह अगस्त को पत्थरबाजी की घटना में घायल हो गया था. इसे अस्पताल में भर्ती कराया गया और चार सितंबर को उसकी मौत हो गई. आतंकवादियों ने कश्मीर के सोपोर में एक सेव व्यापारी के परिवार पर हमला कर दिया, जिसमें एक नाबालिग लड़की समेत परिवार के चार सदस्य घायल हो गए.

इसके कुछ ही दिनों के बाद 11 सितंबर को सुरक्षा बलों ने एक मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकवादी आसिफ मकबूल भट को मार गिराया. सेना ने बताया कि सेव व्यापारी के परिवार पर हमले के पीछे भट ही जिम्मेदार था. यह मुठभेड़ सेना और अन्य सुरक्षा बलों के साथ जम्मू एवं कश्मीर पुलिस द्वारा एलईटी के आठ आतंकवादियों को सोपोर क्षेत्र से गिरफ्तार कर पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन का भंडाफोड़ करने के दो दिन बाद हुई थी.

जम्मू एवं कश्मीर के अंतरिक इलाकों में हिंसा सीमित रही हो, लेकिन पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम का बार-बार उल्लंघन करने और आतंकवादियों को भारतीय सीमा में प्रवेश कराने के प्रयासों के कारण नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सैन्य गतिविधि बढ़ी है.

तीस अगस्त तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, जम्मू एवं कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से पाकिस्तान 222 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर चुका है. इससे पहले संघर्ष विराम का एक महीने में सबसे ज्यादा बार उल्लंघन (296) जुलाई में हुआ था. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम का ज्यादातर बार उल्लंघन भारत में घुसपैठ कर रहे आतंकवादियों के लिए कवर फायरिंग के उद्देश्य से किया गया.

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