विनायक सावरकर और नाथूराम गोडसे पर फिर शुरू हुआ विवाद, कांग्रेस ने बुकलेट में दोनों को बताया 'समलैंगिक'
देश में एक बार फिर गोडसे और सावरकर को लेकर विवाद शुरू हो गया है. ताजा मामले में विवाद का केंद्र बना है मध्य प्रदेश. बताना चाहते है कि राजधानी भोपाल में कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में विनायक दामोदर सावरकर पर विवादित साहित्य बांटा गया है. इस साहित्य में सावरकर को लेकर जो बातें लिखी हुई हैं. उसे लेकर अब देश की राजनीति गरमा गई है. इस किताब में यह भी जिक्र है कि वीर सावरकर ने किस तरह अंग्रेजों से अपनी जान बचाने के लिये माफी मांगी थी.
नई दिल्ली. देश में एक बार फिर नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) और विनायक सावरकर (Vinayak Savarkar) को लेकर विवाद शुरू हो गया है. ताजा मामले में विवाद का केंद्र बना है मध्य प्रदेश. बताना चाहते है कि राजधानी भोपाल में कांग्रेस सेवादल (All India Congress Seva Dal) के राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) पर विवादित साहित्य बांटा गया है. इस साहित्य में सावरकर को लेकर जो बातें लिखी हुई हैं. उसे लेकर अब देश की राजनीति गरमा गई है. इस किताब में यह भी जिक्र है कि वीर सावरकर ने किस तरह अंग्रेजों से अपनी जान बचाने के लिये माफी मांगी थी.
बता दें कि इस बैठक में कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा जो किताब बांटी गई है उसका नाम है 'वीर सावरकर कितने वीर?’ किताब में आगे लिखा गया है कि सावरकर जब 12 साल के थे तब उन्होंने मस्जिद पर पत्थर फेंके थे और वहां की टाइल्स तोड़ दी थी. इसके साथ ही किताब में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे और सावरकर के संबंधों को लेकर भी विवादित बातें कही गई है. इस किताब में लिखा गया है कि नाथूराम गोडसे और वीर सावरकर के बीच शारीरिक संबंध थे. यह भी पढ़े-महाराष्ट्र: राहुल गांधी के वीर सावरकर वाले बयान पर बीजेपी आक्रामक, 'मैं भी सावरकर' की टोपी पहन कर विधानसभा पहुंचे विधायक
इस पुरे मामले पर राष्ट्रीय सेवा दल के लालजी देसाई ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि लेखक ने इसे सबूतों के आधार पर लिखा हुआ है. लेकिन यह हमारे लिए अहम नहीं है. आज हमारे देश में, हर किसी को अपनी तरजीह को सामने रखने का पूरा हक है.
वही किताब में लिखी बात पर गौर करें तो कहा गया है कि विनायक सावरकर अल्पसंख्यक महिलाओं से बलात्कार करने के लिए लोगों को उकसाने का काम करते थे. साथ ही किताब में कहा गया है कि सावरकर ने जेल से बाहर आने के लिए अंग्रेज़ों से लिखित में माफी मांगी है और आश्वासन दिया था कि वो दोबारा किसी राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा नहीं लेंगे।
इस पुरे वाकये के बाद सूबे में विपक्ष में काबिज बीजेपी पूरी तरह आक्रामक हो गई है. राज्य के प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि 'महिलाओं को तंदूर में जलाने वाली कांग्रेस से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है'.