Sambhal Violence: हिंसा के बाद आज संभल का दौरा करेगी समाजवादी पार्टी की टीम, अब तक 4 की मौत, 25 गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा में चार लोग मारे गए और कई घायल हुए. पुलिस ने इस घटना में 25 लोगों को गिरफ्तार किया, और समाजवादी पार्टी के नेताओं का नाम FIR में दर्ज किया गया है. इस मामले की जांच के लिए सरकार ने न्यायिक जांच का आदेश दिया है और स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है.
उत्तर प्रदेश के सांभल में रविवार को पुलिस और एक बड़ी भीड़ के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसके बाद इलाके में तनाव बढ़ गया है. इस हिंसा में चार लोग मारे गए और कई लोग घायल हुए. मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई इस झड़प ने साम्प्रदायिक तनाव को हवा दी, और अब इसे लेकर राजनीति भी गरमाई हुई है. मंगलवार को समाजवादी पार्टी (SP) का एक 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, जिसमें विपक्ष के नेता मता प्रसाद पांडेय भी शामिल हैं, हिंसा प्रभावित इलाके का दौरा करेगा. यह दौरा कड़े प्रतिबंधों और बिना अनुमति बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक के बावजूद हो रहा है.
क्या था मामला?
यह हिंसा उस समय हुई जब पुलिस एक मस्जिद का सर्वे कर रही थी, और विरोध कर रहे लोगों ने पुलिस के साथ झड़प की. पुलिस ने इस मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया है, और कई प्रमुख नेताओं का नाम FIR में दर्ज किया गया है. समाजवादी पार्टी के सांसद ज़िया उर्रहमान बारक और स्थानीय विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहैल इकबाल का नाम भी FIR में शामिल है.
पुलिस का आरोप है कि ज़िया उर्रहमान बारक का बयान, "जमा मस्जिद की हिफाजत" (जमा मस्जिद की सुरक्षा), हिंसा को भड़काने का कारण बना. इसके अलावा, बारक और इकबाल के अलावा चार अन्य लोगों का भी नाम FIR में है, जबकि करीब 2,750 लोग अनजान के रूप में सूचीबद्ध हैं.
समाजवादी पार्टी का विरोध
समाजवादी पार्टी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि उनके नेता इस हिंसा के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. पार्टी ने आरोप लगाया कि पुलिस की कार्रवाई और मस्जिद सर्वे ने ही स्थिति को बिगाड़ दिया. पार्टी द्वारा भेजा गया प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को सांभल की मस्जिद का दौरा करेगा और स्थिति का जायजा लेगा. इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी का हस्तक्षेप राजनीति में और भी गर्मी ला सकता है.
उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई
इस हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायिक जांच का आदेश दिया है, जो उप-जिलाधिकारी दीपक कुमार चौधरी द्वारा की जाएगी. जांच के दौरान हिंसा के कारणों का पता लगाने, जिम्मेदार लोगों की पहचान करने, हुए नुकसान का आकलन करने और हताहतों की जांच की जाएगी. जिला प्रशासन ने सरकारी और निजी संपत्ति के नुकसान का भी आकलन शुरू कर दिया है, और हिंसा के जिम्मेदार लोगों से इस नुकसान की वसूली की योजना बनाई जा रही है.
इसके अलावा, जांच में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी, अंजनिया कुमार सिंह ने संकेत दिया कि यह हिंसा किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हो सकती है, जिसका उद्देश्य इलाके में अशांति फैलाना था.
मस्जिद सर्वे पर विवाद
सांभल जामा मस्जिद प्रबंधन समिति के अध्यक्ष ज़फर अली को पुलिस द्वारा हिंसा का आरोप लगाने के बाद हिरासत में लिया गया. उन्होंने मस्जिद के सर्वे को "गैरकानूनी" करार दिया और कहा कि SDM के द्वारा वजू टैंक को खाली करने की जिद ने भ्रम उत्पन्न किया, जो हिंसा का कारण बनी.
स्थिति पर राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव
जांच और गिरफ्तारियों के बीच, इस पूरे मामले पर राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों ही पक्षों का दबाव बढ़ता जा रहा है. उत्तर प्रदेश की सरकार और पुलिस प्रशासन इस मामले को सुलझाने के लिए कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन सांभल की स्थिति अभी भी संवेदनशील बनी हुई है. इस मुद्दे पर आगे और विवाद और तनाव की आशंका जताई जा रही है.
सांभल में हो रही हिंसा और उसके बाद की घटनाओं से पूरी उत्तर प्रदेश की राजनीति और प्रशासन पर असर पड़ सकता है, और यह मामला आगे और जटिल हो सकता है.