राजस्थान में मचे सियासी घमासान के बीच राज्यपाल कलराज मिश्र ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चिठ्ठी लिखा है. इससे पहले की मैं विधानसभा सत्र बुलाने पर विशेषज्ञों से चर्चा कर पाऊं, उससे पहले ही आपने सार्वजनिक रूप से कह दिया कि यदि आज राजभवन का घेराव होता है, तो आप की जिम्मेदारी नहीं है. उन्होंने लिखा, यदि आप और आपका गृह मंत्रालय राज्य में कानून और व्यवस्था के बारे में गवर्नर की रक्षा नहीं कर सकते हैं तो क्या होगा? राज्यपाल की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क किया जाना चाहिए? मैंने कभी किसी सीएम का ऐसा बयान नहीं सुना. क्या यह एक गलत प्रवृत्ति की शुरुआत नहीं है, जहां विधायक राजभवन में विरोध करते हैं ? उन्होंने कहा कि 23 जुलाई को सरकार ने रात को कम नोटिस के सत्र आहूत करने की पत्रावली पेश की थी. उन्होंने कहा कि दबाव की राजनीति ठीक नहीं है.
राज्यपाल ने पत्र लिखकर कहा कि सत्र आयोजित करने का कोई औचित्य नहीं है और न ही इसके लिए कोई एजेंडा प्रस्तावित किया गया है. सामान्य प्रक्रियाओं के अनुसार सत्र के लिए 21-दिन के नोटिस की आवश्यकता होती है. इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा था कि, राज्यपाल महोदय हमारे संवैधानिक मुखिया हैं, हमने जाकर उनसे रिक्वेस्ट की है. कहने में संकोच नहीं है कि बिना ऊपर के दबाव के वो इस फैसले को नहीं रोक सकते थे क्योंकि राज्यपाल महोदय कैबिनेट (Cabinet के फैसले में बाउंड होते हैं कि हमें किसी भी रूप में उसे मानना है और असेंबली सेशन (Assembly session) बुलाना है. इससे पहले राजस्थान के राजभवन में गहलोत के समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की थी. यह भी पढ़ें:- Rajasthan Political Crisis: सचिन पायलट समर्थक विधायकों ने कहा, हम दिल्ली में हैं, हमें नहीं बनाया गया है बंधक, बीजेपी से कोई संपर्क नहीं.
ANI का ट्वीट:-
Rajasthan’s Governor Kalraj Mishra writes to CM Ashok Gehlot stating, 'Before I could discuss the matter with experts regarding Assembly session, you have publically said that if Raj Bhawan is 'gheraoed' then it is not your responsibility. (file pic) (1/2) pic.twitter.com/Q2nqFcWDuB
— ANI (@ANI) July 24, 2020
बता दें कि गहलोत ने राज्यपाल को संवैधानिक मुखिया बताते हुए अपने विधायकों को गांधीवादी तरीके से पेश आने की नसीहत दी थी, अशोक गहलोत ने उम्मीद जताई कि राज्यपाल कलराज मिश्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की कांग्रेस सरकार के प्रस्ताव पर जल्द ही फैसला करेंगे. यहां सत्ता पक्ष कह रहा है कि विधानसभा का सत्र बुलाया जाए जहां दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. वहीं विपक्ष कह रहा है कि हम ऐसी मांग ही नहीं कर रहे। यह क्या पहेली है. जिसके बाद राज्यपाल कलराज मिश्र ने चिठ्ठी लिखकर जवाब दिया.