नई दिल्ली: देश में राफेल (Rafale) पर छिड़ी सियासी जंग के बीच एक बड़ी खबर सामने आयी. इसी कड़ी में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांदएक मैग्जीन मीडियापार्ट को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि राफेल डील के ऑफसेट के लिए अनिल अंबानी की रिलायंस का नाम हमने नहीं चुना, वह नाम भारत की तरफ से आया था. हमारे पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था. इसे चुनने में दैसॉ एविएशन की भूमिका नहीं है. राफेल डील (Rafale Deal) को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) केंद्र सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अपने मित्र उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए राफेल डील तीन गुना बढ़े हुए दाम पर की है.
दूसरी तरफ इन आरोपों पर केंद्र सरकार कहती रही है कि अनिल अंबानी का हमसे कोई संबंध नहीं है. अनिल अंबानी (Anil Ambani) को ऑफसेट देने के लिए हमने नहीं बल्कि विमान बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट ने चुना है. ऐसे में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद ने एक बार फिर मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. यह भी पढ़े-राफेल डील: कांग्रेस के आरोपों पर रक्षा मंत्री का पलटवार, कहा-यूपीए की नीतियों के चलते HAL की नहीं हुई भागीदारी
Report referring to Former French President Hollande's statement that GOI insisted upon a particular firm as offset partner for Dassault Aviation in Rafale is being verified. It's reiterated that neither GoI nor French Govt had any say in the commercial decision: Def Spokesperson
— ANI (@ANI) September 21, 2018
ओलांद ने कहा, 'भारत की सरकार ने जिस सर्विस ग्रुप का नाम दिया, उससे डसॉल्ट ने बातचीत की. डसॉल्ट ने अनिल अंबानी से संपर्क किया. हमारे पास कोई विकल्प नहीं था. हमें जो वार्ताकार दिया गया, हमने स्वीकार किया.
Former French President François Hollande contradicts the Indian government. According to him, Anil Ambani (Reliance Defence) was not chosen by Dassault : "We didn't have a choice. We took the partner that was given to us" #Rafalehttps://t.co/YX1rMQlqvk
— julien bouissou (@jubouissou) September 21, 2018
इस मसले पर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस आर्टिकल को रीट्वीट करते हुए ओलांद से पूछा, 'कृपया आप हमें यह भी बताएं कि राफेल की 2012 में 590 करोड़ की कीमत 2015 में 1690 करोड़ कैसे हो गई. मुझे पता है कि यूरो की वजह से यह कैलकुलेशन की दिक्कत नहीं है.'
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के द्वारा दिए गए बयान वाली रिपोर्ट की पुष्टि की जा रही है. यह फिर से दोहराया जाता है कि इस समझौतै में न तो भारत सरकार और न ही फ्रांस सरकार की कोई भूमिका थी.
The report referring to fmr French president Mr. Hollande's statement that GOI insisted upon a particular firm as offset partner for the Dassault Aviation in Rafale is being verified.
It is reiterated that neither GoI nor French Govt had any say in the commercial decision.
— Defence Spokesperson (@SpokespersonMoD) September 21, 2018
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर राफेल (Rafale) मामले में देश को गुमराह करने का आरोप लगाया था. विपक्षी दल ने हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के पूर्व प्रमुख टी सुवर्णा राजू के बयान का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री से इस्तीफा मांगा था.