महाराष्ट्र में फिर लगा राष्ट्रपति शासन, जानिए इससे पहले और कब-कब हुआ था लागू

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है. गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा वाली संचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजी, जिसके बाद उन्होंने इस बाबत अपनी सहमति दी. बता दें कि महाराष्ट्र के इतिहास में राज्य में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है.

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Photo Credits-Facebook)

महाराष्ट्र (Maharashtra) में राष्ट्रपति शासन (President's Rule) लागू कर दिया गया है. दरअसल, 24 अक्टूबर को आए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद कोई भी पार्टी या गठबंधन सरकार बनाने में सफल नहीं रही. महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Governor Bhagat Singh Koshyari) ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) से अनुशंसा की, जिसके कुछ ही घंटों बाद यह निर्णय लिया गया. राज्यपाल कोश्यारी ने कहा कि वह आश्वस्त हैं कि ऐसी परिस्थिति में महाराष्ट्र सरकार को संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता.

गृह मंत्रालय (MHA) ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा वाली संचिका राष्ट्रपति कोविंद के पास भेजी, जिसके बाद उन्होंने इस बाबत अपनी सहमति दी. बता दें कि महाराष्ट्र के इतिहास में राज्य में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है. यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र में लगा राष्ट्रपति शासन, प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद ने दी मंजूरी.

महाराष्ट्र में 17 फरवरी 1980 से 8 जून 1980 तक पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा था यानी राज्य में पहली बार 112 दिन तक राष्ट्रपति शासन लगा था. दरअसल, महाराष्ट्र में 17 फरवरी 1980 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार को विधानसभा में पर्याप्त बहुमत होने के बावजूद सदन भंग कर दिया गया था और इस तरह राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ.

महाराष्ट्र में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन 28 सितंबर 2014 से लेकर 30 अक्टूबर 2014 तक लगा था. यानी इस दौरान महाराष्ट्र में 32 दिनों तक राष्ट्रपति शासन रहा था. दरअसल, उस समय महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने अपने सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) सहित अन्य दलों के साथ अलग हुआ था और विधानसभा को भंग किया गया था.

महाराष्ट्र में 12 नवंबर 2019 को तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लगा है. दरअसल, 288 सदस्यीय विधानसभा में, बीजेपी 105 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और वह शिवसेना के साथ आसानी से सरकार बनाने की स्थिति में थी, लेकिन 56 सदस्यों वाली शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद की वजह से बीजेपी का साथ देने से इनकार कर दिया था. यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र का सत्ता संघर्ष: जानें कब लगता है राष्ट्रपति शासन और क्या होते है इसके मायने.

उसके बाद से शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी की मदद से सरकार गठन करने का प्रयास किया. राज्यपाल ने सबसे पहले बीजेपी को सरकार गठन के लिए आमंत्रित किया था, उसके बाद उन्होंने रविवार को शिवसेना को आमंत्रित किया. शिवसेना को हालांकि 24 घंटे की समयसीमा में पर्याप्त विधायकों का समर्थन हासिल नहीं हो सका.

उसके बाद राज्यपाल कोश्यारी ने सोमवार शाम को एनसीपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया और समर्थन दर्शाने के लिए मंगलवार रात 8 बजे तक का समय दिया था, हालांकि उससे पहले ही महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया.

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