पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की पार्टी जेडीयू (JDU) से निकाले जाने के बाद राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Political strategist Prashant Kishor) पटना पहुंचे, जहां उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के लिए किसी पार्टी या गठबंधन को समर्थन देने की तमाम अटकलों के बीच एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सभी अटकलों सिरे से खारिज करते हुए उन पर पूर्ण विराम लगा दिया. पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि हम ऐसा नेता चाहते हैं जो सशक्त हो और बिहार के लिए अपनी बात कहने में किसी का पिछलग्गू न बने. पार्टी से निष्कासन के बाद उन्होंने सीएम नीतीश कुमार के साथ अपने मतभेदों पर भी बात की. उन्होंने कहा कि नीतीश जी से मेरे संबंध अच्छे रहे हैं. मेरे मन में उनके लिए अपार सम्मान है. मैं उनके किसी भी फैसले पर सवाल नहीं उठाऊंगा.
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से उनके मतभेद विचारधारा के चलते हैं. आज नीतीश जी उनके साथ हैं जो नाथूराम गोडसे की विचारधारा को मानते हैं, लेकिन गांधी और गोडसे एक साथ नहीं चल सकते. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नीतीश जी और मेरे बीच केवल राजनीतिक संबंध नहीं रहा है, उन्होंने मुझे अपने बेटे की तरह रखा है और मैं भी उन्हें पिता समान मानता हूं, इसलिए पार्टी से निष्कासन समेत नीतीश जी के सारे फैसले मुझे मंजूर है.
देखें ट्वीट-
Political strategist Prashant Kishor: Hum woh neta chahte hain jo sashakt ho, jo Bihar ke liye apni baat kehne mein kisi ka pichhlaggu na bane. https://t.co/V7X22ul1Rw pic.twitter.com/5SMSJCClm0
— ANI (@ANI) February 18, 2020
बता दें कि 30 जनवरी को उन्हें नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से निकाला गया था, जिसके बाद वो पहली बार पटना आए हैं. हालांकि उन्होंने पहले ही संकेत दिए थे कि फिलहाल उनकी नजर न तो राज्यसभा पर है और न ही लोकसभा पर थी. उन्होंने जेडीयू में शामिल होकर राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी, लेकिन पार्टी लाइन से अलग होकर बयान देने के चलते उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. यह भी पढ़ें: लालू प्रसाद यादव ने सीएम नीतीश कुमार को कहा था पलटूराम, अब तेज प्रताप ने किया उनका नया नामकरण, देखें वीडियो
बिहार के विकास पर प्रशांत किशोर ने कहा कि राज्य में विकास हुआ है और मैं इस बात को मानता हूं, लेकिन विकास के 20 बड़े मानकों में आज भी बिहार की हालत 2005 जैसी है. ज्ञात हो कि इसी साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले प्रशांत किशोर का निष्कासन बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर सकता है.