नई दिल्ली, 27 सितंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अपने प्रसिद्ध रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के दौरान रविवार को कहानी कहने की कला यानी स्टोरी टेलिंग पर चर्चा की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में किस्सा-गोई की समृद्ध परंपरा रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है. आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरूरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवारों के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हमें, जरूर एहसास हुआ होगा कि हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थी, वो आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है. ऐसी ही एक विधा जैसे मैने कहा, कहानी सुनाने की कला यानि स्टोरी टेलिंग.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, जो हमारी परंपराएं थीं, जो परिवार में एक प्रकार से संस्कार सरिता के रूप में चलती थी, उसकी कमी महसूस हो रही है, ऐसा लग रहा है कि बहुत से परिवार हैं जहां से ये सब खत्म हो चुका है, और इसके कारण, उस कमी के रहते हुए, इस संकट के काल को बिताना परिवारों के लिए थोड़ा मुश्किल हो गया, और, उसमें एक महत्वपूर्ण बात क्या थी? हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियां सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं.
भारत में कहानी कहने की एक समृद्ध परंपरा रही है हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी है, जहां कहानियां में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गई,ताकि विवेक और बुद्धिमता की बातों का आसानी से समझाया जा सके: 'मन की बात' में पीएम मोदी pic.twitter.com/iI393oOpSg
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 27, 2020
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता. कहानियां, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं. कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई मां अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिालने के लिए कहानी सुना रही होती है, तब देखें.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-गोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है. हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी हैं, जहां हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है, जहां, कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गई, ताकि, विवेक और बुद्धिमत्ता की बातों को आासानी से समझाया जा सके. हमारे यहां कथा की परंपरा रही है. ये धार्मिक कहानियां कहने की प्राचीन पद्धति है. इसमें कताकालक्षेवम भी शामिल रहा है.