बुधवार को चमन बॉर्डर पर अफगान जवान की फायरिंग में तीन लोग मारे गए हैं. वारदात ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव की आंच और तेज कर दी है.अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने इस्लामाबाद से पाकिस्तान में बिना दस्तावेजों के रह रहे अफगानों को देश से न निकालने की अपील की है. अफगान सरकार के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने पाकिस्तान के एलान को अस्वीकार्य बताते हुए इस्लामाबाद से इस पर फिर विचार करने की दरख्वास्त की.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जबीउल्लाह ने ट्वीट किया, "पाकिस्तान की सुरक्षा संबंधी समस्याओं में अफगान रिफ्यूजी शामिल नहीं हैं. जब तक वे स्वचेच्छा से पाकिस्तान में रहते हैं, देश को उनके प्रति सहिष्णुता रखनी चाहिए."
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अवैध आप्रवासियों के मुद्दे पर तनातनी के बीच गुरुवार को पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बॉर्डर की अहम क्रॉसिंग फिर से खोली गई है.
बुधवार को अफगान बॉर्डर गार्ड की फायरिंग में दो पाकिस्तानी नागरिकों और एक बच्चे की मौत के बाद चमन क्रॉसिंग बंद कर दी गई थी.
फायरिंग की घटना पर पाकिस्तान की ताकतवर सेना ने कड़ा रुख अपनाया है. सेना ने इसे गैरजिम्मेदाराना और सिरफिरी वारदात करार देते हुए अफगान प्रशासन से दोषी को पाकिस्तान के हवाले करने की मांग की है.
काबुल ने इस वारदात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन माना जा रहा है कि इस घटना ने भी मौजूदा तनाव में इजाफा किया है.
अपने रुख पर कायम पाकिस्तान
बढ़ते दबाव और तनाव के बीच पाकिस्तान ने देश-निकाले वाले फैसले से पलटने का कोई संकेत नहीं दिया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने गुरुवार को तिब्बत में एक फोरम में शिरकत के दौरान हांगकांग के फॉनिक्स टीवी से बात करते हुए कहा, "कोई भी देश अपने यहां अवैध लोगों को रहने की अनुमति नहीं देता है. चाहे वह यूरोप हो, एशिया का कोई देश हो या फिर हमारे पड़ोसी."
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इस्लामाबाद ने मंगलवार को देश में बिना रजिस्ट्रेशन रह रहे लोगों को 1 नवंबर तक पाकिस्तान छोड़ने का आदेश दिया. पाकिस्तान के अधिकारियों के मुताबिक उनके यहां करीब 44 लाख अफगान नागरिक रह रहे हैं.
इनमें से करीब 17 लाख अफगान बिना रजिस्ट्रेशन के रह रहे हैं. पाकिस्तान सरकार का कहना है कि अवैध रूप से रह रहे लोग अगर अक्टूबर अंत तक वापस नहीं लौटे, तो उन्हें हिरासत में लिया जाएगा और जबरन उनके देश भेजा जाएगा.
इस्लामाबाद के मुताबिक पाकिस्तान में इस साल अब तक 24 आत्मघाती हमले हो चुके हैं. इनमें से 14 को अफगान नागरिकों ने अंजाम दिया.
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा, "जब भी कोई दिक्कत आती है, लोग पाकिस्तान का रुख करते हैं और पाकिस्तान में शरण लेते हैं. लेकिन मुझे लगता है कि यह 40 साल से भी ज्यादा समय से हो रहा है. इसीलिए पाकिस्तान की सरकार को यह फैसला करना पड़ा है."
एमनेस्टी इंटरनेशनल की पाकिस्तान से अपील
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटनेशनल ने पाकिस्तान से अफगान रिफ्यूजियों की मदद करने की अपील की है.
एमनेस्टी के मुताबिक वापस अफगानिस्तान भेजने पर कई लोग तालिबान की सजा का शिकार बन सकते हैं. ऐसे में इस्लामाबाद को अफगान रिफ्यूजियों को भयमुक्त जिंदगी जीने का अवसर देना चाहिए. मानवाधिकार संगठन ने एक बयान में कहा, "जबरन वापसी अफगान रिफ्यूजियों को गंभीर जोखिम में डाल सकती है."
एमनेस्टी इंटनेस्टी इंटरनेशनल की दक्षिण एशिया की डिप्टी डायरेक्टर फॉर रिसर्च नादिया रहमान ने कहा, "वे लोग ऐसे हालात में जिंदगी जी रहे हैं, जहां पाकिस्तान में रिफ्यूजी के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराने की बहुत ही लंबी प्रक्रिया है या फिर वे किसी अन्य देश तक जाने के लिए जरूरी लंबी प्रक्रिया में फंसे है."
ओएसजे/वीएस (एएफपी, डीपीए)