नई दिल्ली: विपक्षी दलों ने बुधवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Bill 2019) को 'असंवैधानिक’ बताया और आरोप लगाया कि यह भारत की अवधारणा का ‘उल्लंघन’ है कि धर्म नागरिकता (Citizenship) का आधार नहीं हो सकता है. हालांकि, बीजेपी ने कहा कि मसौदा विधेयक संविधान की आत्मा और भावना के अनुरूप है. विपक्षी दलों के आरोपों को नकारते हुए बीजेपी के प्रवक्ता जी. वी. एल. नरसिम्हा राव ने कहा कि वे ‘‘घुसपैठियों के माध्यम से वोट बैंक’’ बचाने के संकीर्ण हित को लेकर अंधे हो गए हैं. उन्होंने कहा कि कुछ विशेष धर्म के लोगों को नागरिकता देने का मतलब पड़ोसी देशों में उनका उत्पीड़न और उनसे हो रहे दुर्व्यवहार से उन्हें बचाना है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इससे पहले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के गैर मुस्लिम नागरिकों को धार्मिक उत्पीड़न से बचाने वाले विवादास्पद विधेयक को मंजूरी दे दी. संसद में इसे आगामी दिनों में पारित होना है.
कांग्रेस के कई नेताओं ने विधेयक का विरोध किया. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि इससे भारत की मूल अवधारणा का उल्लंघन होता है कि नागरिकता का आधार धर्म नहीं हो सकता है.
उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा- जो लोग मानते हैं कि धर्म से राष्ट्रीयता तय होगी... वह पाकिस्तान की अवधारणा थी, उन्होंने पाकिस्तान बनाया. हमनें हमेशा कहा है कि देश की हमारी अवधारणा वह है जो महात्मा गांधी, नेहरू जी, मौलाना आजाद, डॉक्टर आंबेडकर ने कहा है कि धर्म राष्ट्रीयता तय नहीं कर सकता है.
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, माकपा और कुछ अन्य राजनीतिक दल विधेयक का विरोध कर रहे हैं और उनका दावा है कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती है. कांग्रेस के रूख के बारे में पूछने पर लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी इसके प्रावधानों के बारे में अध्ययन करने के बाद अपना विचार बनाएगी, क्योंकि अभी उस बारे में जानकारी नहीं है. यह भी पढ़ें: कैबिनेट ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर लगाई मुहर, विपक्ष ने जताई आपत्ति
बहरहाल, पार्टी के वरिष्ठ नेता और तीन बार असम के मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई ने कहा कि विधेयक के खिलाफ कांग्रेस उच्चतम न्यायालय जाएगी जो ‘असंवैधानिक’ और ‘विभेदकारी’ है. माकपा नेता सीताराम येचुरी ने मांग की कि विधेयक को वापस लिया जाए. उन्होंने ट्वीट किया, ‘यह साधारण है. नागरिकता को धर्म से तय नहीं किया जा सकता या इससे नहीं जोड़ा जा सकता है. यही नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को अस्वीकार्य और असंवैधानिक बनाता है. कैब का उद्देश्य भारत के आधार को नष्ट करना है.
उधर, विधेयक का बचाव करते हुए राव ने कहा कि यह भारत के संविधान की आत्मा और भावना के अनुरूप और हमारी सरकार के ‘पहले भारत’ के उद्देश्य के मुताबिक है. यह विधेयक किसी भी तरह से भारत के नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं करता और ‘सबका साथ, सबका विकास’ की नीति को पुष्ट करता है.