भोपाल: जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा (Pulwama) में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जबलपुर के अश्विनी कुमार काछी के अंतिम संस्कार को लेकर विपक्षी बीजेपी और राज्य सरकार ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए हैं. बीजेपी ने जहां अंतिम संस्कार में जानबूझकर देरी करने के प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. वहीं सरकार ने बीजेपी के आरोपों का जवाब देते हुए संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करने के आरोप लगाए. पुलवामा में गुरुवार को हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों में जबलपुर के खुड़ावल गांव के निवासी अश्विनी भी शामिल थे और शनिवार को उनके गृहग्राम में उनका अंतिम संस्कार हुआ.
रविवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव (Gopal Bhargava) ने यहां बीजेपी मीडिया विभाग की बैठक में अंतिम संस्कार में देरी होने का मामला उठाया. कार्यक्रम का जो वीडियो सामने आया है, उसमें भार्गव कह रहे हैं कि कमलनाथ (Kamla Nath) सरकार के मंत्री बैठक और उद्घाटन में व्यस्त थे, इसलिए शहीद के अंतिम संस्कार में विलंब किया गया, शहीद के शव को कई जगह रोका गया. इतना ही नहीं जब शव अंतिम संस्कार स्थल पर भी पहुंच गया तो वहां भी रोका गया, क्योंकि उन्हें (प्रदेश सरकार) जबलपुर में अपने तमाम कार्यक्रम पूरे करने थे.
उल्लेखनीय है कि शहीद अश्विनी के अंतिम संस्कार में कमलनाथ और उनकी सरकार के कई मंत्री शामिल हुए थे. इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष भार्गव व अन्य बीजेपी नेता भी मौजूद थे. भार्गव ने अपने उद्बोधन में कई विवादित शब्दों का भी इस्तेमाल किया. बीजेपी के आरोप पर कमलनाथ की ओर से मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने एक बयान जारी कर सफाई दी है.
बयान में कहा गया है, "मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जबलपुर में मंत्रिमंडल की बैठक छोड़कर सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर मंत्री गोविंद सिंह को शहीद के अंतिम संस्कार में शामिल होने भेजा दिया था, वहीं मुख्यमंत्री अपने निर्धारित समय पर साढ़े चार बजे पहुंच गए, उन्होंने किसी को भी इंतजार नहीं कराया.
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यह बेहद शर्मनाक है कि सदैव झूठ बोलने वाली बीजेपी ऐसे संवेदनशील मौके पर भी झूठ बोलने व ओछी राजनीति करने से बाज नहीं आई." बयान में आगे कहा गया है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर हम राजनीति नहीं करना चाहते, लेकिन यदि बीजेपी दुष्प्रचार करेगी तो उसका जवाब जरूर देंगे.
बीजेपी से सवाल किया गया है कि वह पहले यह बताए कि जब पुलवामा हादसा हुआ तो प्रधानमंत्री ने अपना ट्रेन शुभारंभ के कार्यक्रम को निरस्त कर घटनास्थल पर पहुंचना क्यों उचित नहीं समझा, झांसी में सरकारी कार्यक्रम में हिस्सा लिया व जनसभा को संबोधित किया. प्रदेश के कई केंद्रीय मंत्री जबलपुर के 'शहीद जवान की अंत्येष्टि में' शामिल होने क्यों नहीं पहुंचे?