राज्यसभा ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक को मंजूरी दी

राज्यसभा ने बृहस्पतिवार को चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के प्रस्ताव वाले ‘राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक-2019’ को मंजूरी दे दी.इसमें चिकित्सा क्षेत्र एवं चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र के नियमन के लिये भारतीय चिकित्सा परिषद की जगह एनएमसी के गठन का प्रस्ताव है.

राज्यसभा (Photo credit: ANI/File)

नई दिल्ली. राज्यसभा ने बृहस्पतिवार को चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के प्रस्ताव वाले ‘राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक-2019’ को मंजूरी दे दी। इसमें चिकित्सा क्षेत्र एवं चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र के नियमन के लिये भारतीय चिकित्सा परिषद की जगह एनएमसी के गठन का प्रस्ताव है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन के विधेयक पर जवाब के बाद उच्च सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. इस विधेयक पर लाये गये विपक्ष के विभिन्न संशोधनों को ध्वनिमत से जबकि दो संशोधन प्रस्तावों को क्रमश:61 के मुकाबले 106 मतों तथा दूसरे को 51 के मुकाबले 104 मतों से खारिज कर दिया गया.

स्वास्थ्य मंत्री ने विधेयक में दो सरकारी संशोधन भी पेश किये जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। वैसे तो इस विधेयक को लोकसभा की मंजूरी मिल गयी है लेकिन इन दो नये सरकारी संशोधनों के कारण इसे अब फिर निचले सदन में भेजकर उनकी मंजूरी ली जायेगी. यह भी पढ़े-मोटर व्हीकल संशोधन बिल को राज्यसभा ने दी मंजूरी, पक्ष में 108 और विपक्ष में पड़े 13 वोट, सख्त होंगे ट्रैफिक नियम

इससे पहले विधेयक पर हुयी चर्चा का जवाब देते हुये डा.हर्षवर्धन ने इस विधेयक के प्रावधानों से संघीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचने संबंधी विभिन्न दलों के सदस्यों की आशंकाओं को गलत बताया. उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एनएमसी विधेयक चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में व्याप्त अनियमितताओं को दूर करने में मददगार साबित होगा.

हर्षवर्धन ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि एनएमसी विधेयक संघीय स्वरूप के खिलाफ है. इसमें राज्यों को अपनी सहूलियत के मुताबिक संशोधन करने का अधिकार होगा और इसके तहत राज्य सरकारें निजी क्षेत्र के मेडिकल कालेज के संचालन हेतु सहमति पत्र (एमओयू) का सहारा ले सकेंगे.

उल्लेखनीय है कि विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस विधेयक को संघीय भावना के खिलाफ बताया था. चर्चा के जवाब में डा. हर्षवर्धन ने कहा कि किसी भी मेडिकल कॉलेज की स्थापना, राज्यों से जरूरी प्रमाणपत्र प्राप्त किये बिना नहीं हो सकती है. विधेयक में डाक्टरों के पंजीकरण में राज्य सरकारों की भूमिका सुनिश्चित की गयी है. उन्होंने स्पष्ट किया कि मेडिकल कॉलेजों के दैनिक क्रियाकलापों में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी.

Share Now

\