इंफाल: बीजेपी (BJP) पर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने शनिवार को लोकसभा चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने के बाद बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से नाता तोड़ने का फैसला किया है. हालांकि एनपीएफ द्वारा बीजेपी से गठबंधन खत्म करने के बावजूद भी राज्य सरकार को कोई खतरा नहीं है.
मणिपुर की क्षेत्रीय पार्टी एनपीएफ ने हाल ही में कहा था कि बीजेपी उसके विचारों और सुझावों को तवज्जो नहीं दे रही है. इसलिए वह बीजेपी के साथ सरकार में शामिल होने के अपने फैसले पर चर्चा करेगी. इसलिए एनपीएफ ने शनिवार को अपने तमाम नेताओं की बैठक बुलाई जिसमे गठबंधन खत्म कर समर्थन वापस लेने का फैसला लिया गया.
उधर, बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि उसने सरकार के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिये अपने सहयोगियों को हरसंभव सुविधाएं दी हैं. एनपीएफ के एक नेता ने दावा किया कि बीजेपी अपने गठबंधन सहयोगियों को तुच्छ समझती है. हालांकि बीजेपी के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एनपीएफ के विधायक लोशी दिखो को मंत्री पद दिया हुआ हैं.
Achumbemo Kikon, Naga People's Front (NPF) Spokesperson to ANI: We had a long meeting at NPF central office in Kohima and decided to withdraw support in principle from the BJP led Manipur government. pic.twitter.com/XOAf5i65mT
— ANI (@ANI) May 18, 2019
गौरतलब हो कि 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में एनपीएफ के पास चार विधायक हैं. इसलिए बीजेपी से समर्थन लेने के बाद भी सूबे की नेतृत्व वाली सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
गौरतलब है कि 2017 का विधानसभा चुनाव जीतने वाले कांग्रेस के 28 में से आठ विधायक पिछले साल बीजेपी में शामिल हो गये थे जिससे विधानसभा में अब उसकी संख्या 21 से बढ़कर 29 हो गयी है. वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन में अन्य पार्टियां एनपीपी (चार), लोजपा (एक), निर्दलीय (एक) और एआईटीसी (एक) शामिल हैं.