मध्यप्रदेश: कमलनाथ सरकार ने कर्मचारियों को नसबंदी का दिया था टारगेट, विरोध के बाद लिया वापस
मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कमलनाथ सरकार (Kamal Nath govt) ने नसबंदी को लेकर जारी फरमान वापस ले लिया है. दरअसल स्वास्थ्य विभाग को दिया गया नसबंदी वाला आदेश सियासी रंग ले चूका था और विपक्ष ने सीएम कमलनाथ (Chief Minister Kamal Nath) पर हमला शुरू कर दिया था. मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा कि, मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल है. क्या ये कांग्रेस का इमर्जेंसी पार्ट-2 है? एमपीएचडब्ल्यू (Male Multi Purpose Health Workers) के प्रयास में कमी हो, तो सरकार कार्रवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय, तानाशाही है.
मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कमलनाथ सरकार (Kamal Nath govt) ने नसबंदी को लेकर जारी फरमान वापस ले लिया है. दरअसल स्वास्थ्य विभाग को दिया गया नसबंदी वाला आदेश सियासी रंग ले चूका था और विपक्ष ने सीएम कमलनाथ (Chief Minister Kamal Nath) पर हमला शुरू कर दिया था. मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा कि, मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल है. क्या ये कांग्रेस का इमर्जेंसी पार्ट-2 है? एमपीएचडब्ल्यू (Male Multi Purpose Health Workers) के प्रयास में कमी हो, तो सरकार कार्रवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय, तानाशाही है.
दरअसल MP की सरकार ने स्वास्थय कर्मचारियों को टारगेट दिया था कि हर महीने कम से कम 5 से 10 पुरुषों नसबंदी का लक्ष्य पूरा नहीं होने पर स्वास्थय कर्मचारियों को वेतन में कटौती और अनिवार्य सेवानिवृत्ति नहीं दिया जाएगा. जिसमें कहा गया था कि अगर कर्मचारी का टारगेट पूरा नहीं होता है तो उसे 'नो-वर्क, नो-पे' (No Work, No Pay) के आधार पर सैलरी नहीं दी जाएगी.
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान:-
बता दें कि रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की राज्य निदेशक छवि भारद्वाज को पद से हटा दिया है. प्रदेश में 25 जिले ऐसे हैं, जहां का टोटल फर्टिलिटी रेट 3 से अधिक है. जिसे पूरा करने के लिए हर साल करीब सात लाख नसबंदी की जानी थी. लेकिन यह आंकड़ा हजारों में रह गया. जिसके बाद उन्हें टारगेट को पूरा करने का निर्देश दिया गया था.