मुख्यमंत्री के दूत बेहार से चर्चा के बाद मेधा पाटकर ने खत्म की भूख हड़ताल
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के दूत एवं पूर्व मुख्य सचिव शरदचन्द्र बेहार से बातचीत के बाद नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने सोमवार देर रात अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी. पाटकर पिछले नौ दिनों से अनशन पर थी.
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के दूत एवं पूर्व मुख्य सचिव शरदचन्द्र बेहार से बातचीत के बाद नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने सोमवार देर रात अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी. पाटकर पिछले नौ दिनों से अनशन पर थी. वह बड़वानी जिले के छोड़ा बड़दा गांव में नर्मदा नदी पर गुजरात में बने सरदार सरोवर बांध :एसएसडी: से मध्यप्रदेश में विस्थापितों के उचित पुर्नवास और बांध के दरवाजे खोल पानी की निकासी करने की मांग कर रही थी.
मुख्यमंत्री कमलनाथ के दूत के तौर पर अनशन स्थल पर सोमवार देर रात पहुंचे बेहार ने पाटकर को भूख हड़ताल समाप्त करने के लिये मना लिया और उन्हे नींबू पानी पिलाकर उनका और अन्य लोगों का अनशन समाप्त करवाया. प्रदेश जनसम्पर्क विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यहां बताया कि बेहार से चर्चा के बाद पाटकर के अलावा छह अन्य लोगों ने भी भूख हड़ताल समाप्त कर दी. इनमें चार महिलाएं भी शामिल हैं.
बेहार ने बांध विस्थापितों पर मुख्यमंत्री कमलनाथ की चिंता से पाटकर को अवगत कराते हुए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बांध के बैकवॉटर क्षेत्र में पानी का स्तर कम करने के लिये किये जा रहे प्रयासों की भी जानकारी दी. पाटकर के नेतृत्व में एनबीए नेता अब नौ सितंबर को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के अधिकारियों के साथ विस्तार से विचार-विमर्श करेंगे. यदि बैठक में बांध प्रभावितों की शिकायतों का समाधान नहीं निकला, तो एनबीए फिर आगे विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान करेगा. यह भी पढ़ें- भेड़ाघाट: मां नर्मदा और सफेद संगमरमर का दिव्य नजारा
पाटकर और उनके समर्थक 25 अगस्त से छोटा-बड़दा गांव में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. एनबीए नेता पाटकर की मांग है कि गुजरात में सरदार सरोवर बांध के स्लूइस गेट खोले जाएं क्योंकि मध्यप्रदेश के बड़वानी सहित कई जिलों के गांवों में पानी भर गया है. इसके अलावा, वह बांध के विस्थापितों के पूर्ण पुनर्वास की मांग भी कर रही हैं.
इससे पहले सोमवार शाम को मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने जानकारी दी थी कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शरदचन्द्र बेहार को अपने दूत के रूप में मेधा पाटकर के पास भेजा है ताकि उन्हें अनशन करने के मनाया जा सके.