Manipur Violence: मणिपुर हिंसा के बाद कांग्रेस ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने और गृह मंत्री के इस्तीफे की मांग की

कांग्रेस ने मणिपुर में हिंसा को लेकर शुक्रवार को कहा कि राज्य के हालात बदतर हैं और पार्टी ने वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की. पार्टी ने कहा कि ‘पूरी तरह से विफल’ गृह मंत्री को इस्तीफा दे चाहिए.'

Manipur Violence | Photo: PTI

नयी दिल्ली, पांच मई कांग्रेस ने मणिपुर में हिंसा को लेकर शुक्रवार को कहा कि राज्य के हालात बदतर हैं और पार्टी ने वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की. पार्टी ने कहा कि ‘पूरी तरह से विफल’ गृह मंत्री को इस्तीफा दे चाहिए क्योंकि वह पद पर बने रहने की नैतिक अधिकार खो चुके हैं.

पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने एक बयान में कहा, ‘‘मणिपुर पिछले 3-4 दिनों से जल रहा है. 16 में से 8 ज़िलों में कर्फ्यू लगा है और इंटरनेट पूरे प्रदेश में बंद कर दिया गया है. भारतीय रेल ने मणिपुर जाने वाली सारी ट्रेन रोक दी हैं. मोदी सरकार ने राज्यपाल को देखते ही गोली मारने के आदेश देने के लिये अधिकृत किया है. क्या आप कल्पना कर सकते हैं आज 2023 के हिंदुस्तान में किस तरह के आदेश दिये जा रहे हैं?’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘मणिपुर की भाजपा सरकार के ढेरों विधायक और मंत्री केंद्र से मदद की गुहार लगा रहे हैं. ओलम्पियन और भाजपा सांसद मैरी कॉम ने ट्वीट कर लिखा है कि “प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री जी, मेरा प्रदेश जल रहा है, इसको बचा लीजिए.’’

सुप्रिया ने कहा, ‘‘सबसे ज़्यादा भयावह पहलू है प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का इतनी बड़ी समस्या से मुंह फेर लेना. देश का एक राज्य जल रहा है और गृह मंत्री और प्रधानमंत्री कहां हैं? वो कर्नाटक के चुनाव में व्यस्त हैं.’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘मोदी जी और अमित शाह जी, क्या मणिपुर की जनता को यही दिन दिखाने के लिए आपने उनसे वोट मांगे थे? जब आप कर्नाटक में यह जाकर कहते हैं कि अगर भाजपा नहीं आई, तो यहां दंगे होंगे. तब क्या आप मणिपुर का उदाहरण देते हैं कि किसके सत्ता में आने में से प्रदेश जल उठता है?’’

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘मणिपुर के हालात बदतर होते जा रहे हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अपने पद पर बने रहने का मौलिक अधिकार खो चुके हैं. उन्हें फ़ौरन अपने पद से इस्तीफ़ा देना चाहिए. अब भाजपा की मणिपुर की सरकार को भी सत्ता में बने रहने का हक़ नहीं है. इस सरकार को बर्खास्त करके तुरंत अनुच्छेद 356 के अन्तर्गत राष्ट्रपति शासन लागू कर देना चाहिए.’’

उल्लेखनीय है कि मणिपुर की हिंसा प्रभावित इंफाल घाटी में सुरक्षाबलों की भारी मौजूदगी के बीच बृहस्पतिवार रात हिंसा की किसी ताजा घटना की सूचना नहीं मिली और शुक्रवार सुबह तनावपूर्ण शांति बनी रही. हालांकि, घाटी के आसपास के पहाड़ी जिलों से सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ की खबरें सामने आ रही हैं.

मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी.

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\