मुंबई: महाराष्ट्र में मंगलवर को पूरे दिन चले सियासी घमासान के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) ने राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया. राज्यपाल के इस फैसले को चुनौती देने के लिए शिवसेना मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंची, वहीं शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकी के जरिये राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर निशाना साधा गया है. सामना के लेख में लिखा गया है कि यह कैसा कानून है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) को सरकार बनाने के लिए 15 दिनों के लिए मौका दिया. लेकिन शिवसेना को सिर्फ 24 घंटे क्यों.
दरअसल बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते जब राज्य में सरकार बनाने से इंकार कर दिया तो राज्यपाल ने सरकार गठन को लेकर शिवसेना को न्योता दिया. शिवसेना को न्योता मिलने के बाद शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे शिवसेना विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे दूसरे अन्य नेता राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार गठन को लेकर 24 घंटे के लिए मोहलत मांगा था. लेकिन राज्यपाल ने शिवसेना के इस मांग को ठुकरा दिया था. यह भी पढ़े: महाराष्ट्र: गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी और केंद्रीय कैबिनेट ने की राष्ट्रपति शासन की सिफारिश, शिवसेना पहुंची सुप्रीम कोर्ट
शिवसेना की तरफ से लेख में यह भी लिखा गया है कि उनके नेता जब राज्यपाल से मिले तो उनको कहा गया कि वे अपने विधयाकों का हस्ताक्षर लेकर आयें. जो उनकी तरफ से कहा गया कि उनके कई विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र में है और कई राज्य के बाहर है. कुछ अन्य दलों से सरकार बनाने के लिए समर्थन को लेकर बात भी करनी है. लेकिन राज्यपाल ने शिवसेना की एक भी नहीं सुनी.
बता दें राज्यपाल द्वारा शिवसेना को समय नहीं दिए जाने के बाद भी शिवसेना सरकार गठन को लेकर हिम्मत नहीं हारी. वह राज्यपाल से मुलाकात के बाद एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस के नेताओं को फोन पर बात करने के साथ ही एनसीपी प्रमुख शरद पवार से बात होती रही. लेकिन कांग्रेस की तरफ से शिवसेना को समर्थन दिया जाए या नहीं हरी झंडी नहीं मिलने के बाद राज्य में सरकार बनाने को लेकर पेंच फंसता गया. जिसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सरकार गठन को लेकर एनसीपी को मौका जरूर दिया. लेकिन सोमवार शाम तक एनसीपी के नेता राज्यपाल से मिलकर सरकार गठन को लेकर दावा पेश करती कि इसके पहले ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया.