महाराष्ट्र: पंकजा मुंडे ने 12 दिसंबर को समर्थकों की बुलाई बैठक, कहा- जल्द लूंगी बड़ा फैसला
पंकजा मुंडे (Photo Credits-ANI Twitter)

मुंबई: महाराष्ट्र की सत्ता भारतीय जनता पार्टी (BJP) के हाथ से जाते ही बीजेपी के खिलाफ आवाज उठने शुरू हो गए हैं. अभी तीन दिन पहले की बात है बीजेपी नेता एकनाथ खडसे ने बीजेपी के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए कहा था कि बीजेपी को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता अजित पवार के समर्थन से सरकार नहीं बनाना चाहिए था. क्योंकि उनके सिचाई घोटाले के साथ ही कई अन्य मामले दर्ज है. वहीं ऐसे लगता है कि पंकजा मुंडे (Pankaja Munde) भी बीजेपी के खिलाफ अपने बगावती सुर छेड़  सकती हैं.  ऐसा इसलिए कि उन्होंने इसको लेकर अपने पिता गोपीनाथ मुंडे  के 12 दिसंबर बरसी पर समर्थकों की एक बैठक बुलाई है और उनकी तरफ से कहा गया है वे जल्द की कोई बड़ा फैसला लेने वाली हैं.

बीजेपी पूर्व विधायक पंकजा मुंडे की तरफ से इसको लेकर उनके फेसबुक पर एक पोस्ट किया गया है. जिसमें लिखा गया है कि 12 दिसंबर को गोपीनाथ मुंडे की बरसी है. सभी समर्थकों से उनका अनुरोध है कि वे उस दिन बैठक में शामिल हो.  उन्होंने कहा कि बदलते सियासी माहौल में अपनी ताकत पहचानने की जरूरत है, 8-10 के भीतर ही बड़ा फैसला लूंगी. वहीं उनकी तरफ से आगे लिखा गया है कि चुनाव के बाद, नतीजें आए. मेरे हारने के कुछ समय बाद, मैंने मीडिया में जाकर इसे स्वीकार कर लिया और अनुरोध किया कि इसके लिए किसी को जिम्मेदार न ठहराया जाए. सारी जिम्मेदारी मेरी है. यह भी पढ़े: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019: पंकजा मुंडे समेत फडणवीस सरकार के इन छह मंत्रियों की चली गई सीट, जनता ने नाकारा

उन्होंने लिखा कि 'पहले देश, फिर पार्टी और अंत में खुद' के संस्कार बचपन से हमारे साथ रहे हैं। छोटी उम्र से, मुंडेसाहेब ने सिखाया है कि लोगों के प्रति हमारे कर्तव्य से बड़ा कुछ नहीं है. वहीं  उन्दूहोंने दूसरे एक एक पंक्ति में लिखा है कि मुझे आठ दस दिन आत्मचिंतन के लिए चाहिए. जिसके बाद मैं आत्मचिंतन कर आपके साथ 12 दिसंबर को बैठक करूंगी. मुंडे ने हालांकि अपने पोस्ट में और कई बातें लिखी हैं. उनके पोस्ट की बाते बता रहीं है कि चुनाव में मिली हार को लेकर वह पार्टी से नाराज हैं.

बता दें पंकजा मुंडे फडणवीस सरकार में मंत्री थी. वह परली विधानसभा सीट से पिता के निधन के बाद अब तक चुनाव जीतकर आती थी. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें अपने गढ़ में अपने चचेरे भाई धनंजय मुंडे के सामने हार का मुंह देखना पड़ा है. उन्हें उनके भाई ने लगभग 30 हजार वोटों से मात देते हुई जीत हासिल की.