Maharashtra Election 2024: मतदान केंद्रों पर मोबाइल फोन प्रतिबंध के खिलाफ बॉम्बे HC में याचिका, फोन ले जाने की मांग

महाराष्ट्र की 288 सीटों वाली विधानसभा पर 20 नवंबर को मतदान होने रहे है. मतदान से पहले मतदान केंद्रों में (Polling Booths) मोबाइल फोन पर प्रतिबंध के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट (HC) में एक जनहित याचिका दायर की गई है.

(Photo Credits ANI, PIxabay)

Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र की 288 सीटों वाली विधानसभा पर 20 नवंबर को मतदान होने रहे है. मतदान से पहले मतदान केंद्रों में (Polling Booths) मोबाइल फोन पर प्रतिबंध के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट  (HC) में एक जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में चुनाव आयोग (ECI) और राज्य चुनाव आयोग को निर्देश देने का आग्रह किया गया है कि वे मतदाताओं को  मोबाइल फोन (Mobile Phone) ले जाने और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए डिजिलॉकर ऐप के माध्यम से अपना पहचान प्रमाण दिखाने की अनुमति देने की मांग की गई है.

वकील जगदीश सिंह और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सदस्य उजाला यादव द्वारा यह दायर जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि आम मतदाताओं को मतदान केंद्रों में मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं है और भारत निर्वाचन आयोग ECI या राज्य चुनाव आयोग द्वारा मतदान केंद्रों के बाहर फोन रखने का कोई व्यवस्था नहीं किया गया है.  ऐसे में कुछ मतदाता मतदान किए बिना ही मतदान केंद्र से वापस चले जाएंगे. ऐसे में मतदान केंद्र तक लोगों को फोन ले जाने की इजाजत दी जाये. यह भी पढ़े: Maharashtra Assembly Elections 2024: राज्य चुनाव महाराष्ट्र से प्रेम करने वालों और नफरत करने वालों के बीच लड़ाई; उद्धव ठाकरे

दरअसल मतदान केंद्रों के बाहर गतिविधियों के मतदान के दिन प्रबंधन के लिए ECI की 14 जून, 2023 की अधिसूचना में "अस्पष्टता" का उल्लेख किया गया है. चुनाव अधिकारियों को कई निर्देश जारी किए गए थे. चुनाव बूथों के संबंध में इसमें कहा गया है कि चुनाव पर्यवेक्षकों और अधिकृत चुनाव/पुलिस अधिकारियों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को मतदान केंद्र के "100 मीटर परिधि" में और मतदान केंद्र के भीतर मोबाइल फोन, वायरलेस सेट आदि ले जाने या उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. जिस याचिका में चुनाव आयोग इस फैसले का विरोध हुआ है.

याचिका को लेकर वकील यादव का कहना है कि जो मुद्दा उठाया गया है, वह मतदान दिवस की गतिविधियों का डिजिटलीकरण न होना है. "वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और उन व्यक्तियों" को कठिनाई का सामना करना पड़ेगा जिनके पास फोन नहीं है, ताकि वे अपने करीबी रिश्तेदारों से संपर्क कर सकें. इसके अलावा, यह उन मतदाताओं के लिए भी परेशानी का कारण बनेगा जो शारीरिक पहचान पत्र नहीं ले कर आएंगे, जबकि ये सत्यापित दस्तावेज़ केंद्रीय/राज्य सरकारों द्वारा डिजीलोकलर पर उपलब्ध हैं.

वकील यादव का कहना है, "प्रत्येक मतदाता लोकतंत्र का हिस्सा है, और प्रत्येक वोट स्वस्थ लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है. आजकल, मोबाइल फोन एक तरह की आवश्यकता बन गए हैं, संवाद करने और डिजिटलीकरण के उद्देश्य से. इसलिए, मतदान केंद्रों पर फोन लाने की अनुमति न देना या मतदाता को DigiLocker के माध्यम से पहचान दस्तावेज़ की सॉफ्ट कॉपी दिखाने की अनुमति न देना "सामान्य मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन" है.

डिजीलोकलर पर 321 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता:

राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार, डिजीलोकलर पर 321 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता और 7.76 बिलियन दस्तावेज़ संग्रहीत हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर इस याचिका पर सुनवाई 13 नवम्बर को सूचीबद्ध की गई है. देखने वाली बात होगी कि बॉम्बे हाई कोर्ट इसक पर अपना क्या फैसला सुनता है. या फिर मतदान केन्द्रों तक मोबाईल फोन ले जाने पर रोक जारी रहेगी.

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