मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के दौरे से सियासी माहौल में हलचल
ज्योतिरादित्य सिंधिया (Photo: IANS)

भोपाल. लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के भोपाल दौरे ने राज्य के सियासी माहौल में हलचल ला दी है. सिंधिया के लिए भोज का आयोजन राजनीति के गलियारे में चर्चा का केंद्रबिंदु बना हुआ है. कर्नाटक में कांग्रेस-जनता दल (सेकुलर) की सरकार पर गहराए संकट के बीच सिंधिया के भोपाल दौरे के राजनीतिक मायने खोजे जा रहे हैं. सिंधिया ने पूरा दिन पार्टी नेताओं से मेल-मिलाप में गुजारा. वह विधानसभा की कार्यवाही के दौरान भी मौजूद रहे. मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ दोपहर का भोजन किया. इसके अलावा वह कॉफी हाउस भी पहुंचे और वहां आम लोगों से भी मिले.

रात में सिंधिया अपने समर्थक मंत्री तुलसीराम सिलावट के आवास पर आयोजित कांग्रेस की एकजुटता प्रदर्शन कार्यक्रम में शामिल हुए. इस कार्यक्रम में कांग्रेस और सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलियों, समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के विधायकों सहित सभी 121 विधायक भी पहुंचे.

राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के सभी नेता पार्टी के एकजुट होने का संदेश देना चाहते हैं और विधायकों को यह अहसास दिलाना की कोशिश कर रहे हैं कि बड़े नेताओं में किसी तरह का मतभेद नहीं है, उनमें समन्वय बना हुआ है. यह भी पढ़े-राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया है कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे

सिंधिया गुट के विधायकों और मंत्रियों में इस बात को लेकर नाराजगी रही है कि अधिकारी उनकी नहीं सुनते। सिंधिया ने उपेक्षा की बात तो स्वीकार नहीं की, मगर इतना कहा कि सभी के बीच समन्वय की जरूरत है, क्योंकि टीम भावना का होना जरूरी है.

राज्य सरकार के मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि सिंधिया का दौरा एक सामान्य प्रक्रिया है, और जब भी कोई बड़ा नेता आता है तो भोज का आयोजन होता है. कर्नाटक और गोवा में चाहे जो हो, मध्यप्रदेश में कुछ नहीं होने वाला.

राज्य विधानसभा में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं है. विधानसभा के 230 विधायकों में से कांग्रेस के 114, भाजपा के 108, बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं। एक सीट रिक्त है. भाजपा के कई नेता सरकार गिराने की बात पूर्व में कह चुके हैं.

भाजपा के विधायक अरविंद भदौरिया ने सिंधिया के दौरे को राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन बताया है. उनका कहना है कि राज्य में कांग्रेस गुटों में बंटी हुई है, गुटों के बीच समन्वय के लिए सिंधिया ने भोपाल का दौरा किया है.