मॉब लिंचिंग: भगवान राम के नाम को हिंसक भीड़ ने हिंसा के नारे में बदल दिया: टीएमसी सांसद नुसरत जहां

तृणमूल कांग्रेस की सांसद नुसरत जहां ने कहा कि तथाकथित गौ रक्षकों ने भगवान राम का नाम एक हिंसक नारे में बदल दिया है. उन्होंने इस तरह की घटनाओं के खिलाफ और मानव जीवन के पक्ष में आवाज उठाने वाले नागरिक समूहों व लोगों की सराहना की. एक खुले पत्र में नुसरत जहां ने नागरिकों से भी मॉब लींचिग (भीड़ द्वारा पीट पीटकर की जाने वाली हत्या) के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की अपील की है.

नुसरत जहां (Photo Credits: ANI)

कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस की सांसद नुसरत जहां ने कहा कि तथाकथित गौ रक्षकों ने भगवान राम का नाम एक हिंसक नारे में बदल दिया है. उन्होंने इस तरह की घटनाओं के खिलाफ और मानव जीवन के पक्ष में आवाज उठाने वाले नागरिक समूहों व लोगों की सराहना की. बांग्ला फिल्म अभिनेत्री व सांसद जहां ने एक ट्वीट के जरिए कहा, "गोमांस खाने या गाय-तस्करी आदि की अफवाहों पर तथाकथित गौ रक्षकों द्वारा नागरिकों पर हमला किए जाने की कई घटनाएं हुईं हैं. इस मुद्दे पर सरकार की चयनित चुप्पी और निष्क्रियता हमें गहरा दुख देती है. हिंसक भीड़ ने असल में भगवान राम के नाम को एक हिंसक नारे में बदल दिया है. उन्होंने कहा, "लिंचिंग करने वाले लोग हमारे देश के दुश्मन और आतंकवादी होने के अलावा और कुछ नहीं हैं."

एक खुले पत्र में नुसरत जहां ने नागरिकों से भी मॉब लींचिग (भीड़ द्वारा पीट पीटकर की जाने वाली हत्या) के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि 'देश में घृणा आधारित अपराधों और मॉब लिंचिंग में तेज बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने अपने ट्वीट में उल्लेख किया कि 2014-19 की अवधि में मुसलमानों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ सबसे अधिक घृणा अपराध दर्ज किए गए हैं. यह भी पढ़े-मॉब लिंचिंग: पीएम मोदी को 49 प्रसिद्ध हस्तियों ने लिखा पत्र, ममता बनर्जी समर्थन में उतरीं, कहा- इस पर राजनीति शर्म की बात

उन्होंने लिखा, "2019 की शुरुआत से अभी तक 11 से अधिक घृणा अपराध हो चुके हैं जिनमें चार लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें सभी अल्पसंख्यक और शोषित लोग शामिल हैं."

सरकार की चुप्पी पर आश्चर्य जताते हुए जहां ने कहा, "माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल 17 जुलाई को सरकार से इन भयावह कृत्यों से निपटने के लिए एक कानून बनाने के लिए कहा था. मगर, सरकार चुप है."

उन्होंने कहा, "एक युवा सांसद के तौर पर नए युग के धर्मनिरपेक्ष भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मैं इस सरकार और सभी सांसदों से अनुरोध करती हूं कि वे भीड़तंत्र द्वारा लोकतंत्र पर इस तरह के हमलों को रोकने के लिए एक कानून बनाएं."

जहां ने पत्र का अंत कवि मुहम्मद इकबाल की पंक्तियों 'मजहब नहीं सिखता आपस में बैर रखना' के साथ किया.

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