लोकसभा चुनाव 2019: त्रिकोणीय भंवर में फंसी है उत्तर प्रदेश की देवरिया सीट
पीएम नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, मायावती और अखिलेश यादव (Photo Credits: twitter)

देवरिया:  देवराहा बाबा की धरती के नाम से मशहूर देवरिया (Deoria) लोकसभा सीट इस बार त्रिकोणीय भंवर में फंसी है. यहां बीजेपी के सांसद कलराज मिश्र ने भले ही विकास कार्य किया हो, लेकिन सपा-बसपा (SP-BSP) ने गठबंधन के जरिए और कांग्रेस (Congress) ने जातीय समीकरण सेट कर भाजपा की राह में रोड़ा अटकाने का काम किया है. हालांकि, बीजेपी ने इस बार अपना प्रत्याशी बदलकर जूता कांड में प्रसिद्धि पाने वाले सांसद शरद त्रिपाठी (Sharad Tripathi) के पिता और वरिष्ठ भाजपाई रामरमापति त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार बनाया है. सपा-बसपा ने विनोद जायसवाल पर अपना दांव लगाया है तो कांग्रेस ने नियाज अहमद पर भरोसा जताया है. नियाज पिछले चुनाव में बसपा से प्रत्याशी थे. इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

मोदी लहर में ढाई लाख वोटों से चुनाव जीतने वाले कलराज मिश्र ने यहां पर बाहरी उम्मीदवार होने के बाद भी इतनी बड़ी जीत हासिल की थी, लेकिन इस चुनाव में भाजपा को बाहरी प्रत्याशी भारी पड़ सकता है. कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों में भी रोष है. ऊपर से बसपा ने जायसवाल को उतारकर भाजपा के वोटों में सेंधमारी करने का प्रयास भी किया है. भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामाशीष राय के बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरने से भाजपा को कुछ वोटों के नुकसान की भी चर्चा हो रही है.

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वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव दत्त पांडेय की मानें तो लड़ाई भाजपा और गठबंधन के बीच है. लेकिन कांग्रेस अपने परंपरागत वोटों की लड़ाई लड़ रही है. यहां पर बाहरी होना कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. लोग विकास को भी प्राथमिकता दे रहे हैं. लोगों को लगता है कि अभी तीन साल योगी की सरकार रहनी है.

उन्होंने कहा, "योगी ने यहां पर विकास किया है. कई बंद चीनी मिलें चलवाई हैं, जिससे लोगों में उनके प्रति एक आस जगी है. ऐसे में अगर केंद्र में फिर मोदी की सरकार बनती है तो काम में आसानी रहेगी. क्षेत्र का विकास हो सकेगा. लेकिन सातवें चरण में पूर्वाचल में धर्म-जाति का मुद्दा तेजी से उभार मार रहा है."

देवरिया लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों में से चार पर भाजपा के विधायक हैं. केवल एक तमकुहीराज क्षेत्र पर कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू काबिज हैं. गठबंधन के साथ दलित, यादव मजबूती से लामबंद हैं. कांग्रेस प्रत्याशी ने मुस्लिम वोटों में अच्छी सेंध लगा रखी है तो गठबंधन प्रत्याशी ने स्वजातीय वोटरों की अच्छी तादाद को लुभाया है. ऐसे में हालात कांटे की टक्कर के हैं. देवरिया के अहरौली गांव के रमेश का कहना है कि यहां पर उज्ज्वला योजना और प्रधानमंत्री आवास बहुत संख्या में मिले हैं, जिस कारण यहां के लोगों का विश्वास मोदी के प्रति बढ़ा है.

रामपुर कारखाना के धनपत का कहना है कि सरकार ने बहुत सारी याजनाएं चलाईं, लेकिन उनका लाभ नहीं मिला है. यहां के दीनानाथ ने कहा कि शौचालय बनने से गंदगी कम हुई है. बजरहा टोला के रफीक का कहना है कि इस सरकार ने केवल 'बांटो और राज करो' के आधार पर काम किया है. राष्ट्रवाद के नाम पर सिर्फ हवाहवाई बातें हो रही है. यहीं के रहने वाले आकाश ने कहा कि इस सरकार ने शौचालय और गांवों में बिजली दी. किसानों का निधि देकर सम्मान बढ़ाया है. इसीलिए यह सरकार आना जरूरी है.

यहां पर कुल मतदाता 17,29,583 है. जिसमें पुरुष मतदाता 9,44,821 और महिला मतदाता 7,84,666 हैं. 96 अन्य मतदाता के रूप में शामिल हैं. जाति के आधार पर देखा जाए तो यहां पर सामान्य वर्ग की आबादी 81 फीसदी है तो अनुसूचित जाति कीआबादी 15 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की महज 4 फीसदी आबादी है. इस सीट पर 19 मई को मतदान होगा. जबकि 23 मई को मतगणना होगी. अंतिम चरण में उत्तर प्रदेश में 13 सीटों पर मतदान होना है.