लोकसभा चुनाव 2019: भोपाल में दिग्विजय सिंह को शिकस्त देने के लिए शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतारेगी बीजेपी?
कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को भोपाल से अपना उम्मीदवार बनाया है और अब बीजेपी ने इस सीट पर अपने प्रत्याशी को लेकर मंथन करना शुरू कर दिया है.
लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) में इस बार मध्यप्रदेश की भोपाल (Bhopal) सीट उन वीआईपी सीटों में से एक है जिस पर देशभर की निगाहें हैं. दरअसल, कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) को भोपाल से अपना उम्मीदवार बनाया है और अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस सीट पर अपने प्रत्याशी को लेकर मंथन करना शुरू कर दिया है. दरअसल, भोपाल सीट बीजेपी का गढ़ बन चुकी है और यहां से किसे उम्मीदवार बनाया जाए इसे लेकर पार्टी गंभीरता से विचार कर रही है. भोपाल में बीजेपी की तरफ से उम्मीदवारी में सबसे आगे अगर किसी का नाम चल रहा है तो वो हैं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan).
शिवराज सिंह चौहान के अलावा बीजेपी के प्रदेश महामंत्री वी. डी. शर्मा, वर्तमान सांसद आलोक संजर, महापौर आलोक शर्मा के नाम की भी चर्चा है. उधर, मालेगांव बम विस्फोट मामले में दोषमुक्त हो चुकीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने सोमवार को कहा था कि वह भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के खिलाफ बीजेपी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.
बीजेपी का एक धड़ा शिवराज को दिग्विजय के खिलाफ चुनाव लड़ाना चाहता है. शिवराज को भोपाल से चुनाव लड़ाने के समर्थक नेताओं का तर्क है कि शिवराज की छवि कट्टरवादी नेता की नहीं है. उधर, ऐसी खबरें भी हैं कि शिवराज ने भोपाल से चुनाव लड़ने पर सहमति दे दी है. दरअसल, शिवराज पहले तो इनकार कर रहे थे. उनका कहना था कि वे प्रदेश की राजनीति में ही रहना चाहते हैं. हालांकि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बीजेपी ने मुरैना से भोपाल शिफ्ट करने पर विचार करना शुरू किया तब जाकर शिवराज ने चुनाव लड़ने पर अपनी सहमति दे दी है. यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2019: साध्वी प्रज्ञा ठाकुर बोली, दिग्विजय सिंह के खिलाफ बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने को तैयार
भोपाल संसदीय क्षेत्र में साढ़े चार लाख से ज्यादा वोट अल्पसंख्यकों का है. इसके साथ ही इस संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से तीन पर कांग्रेस और पांच पर बीजेपी का कब्जा है. बहरहाल, बीजेपी अगर शिवराज को भोपाल में उतारती है तो 16 साल बाद उनका मुकाबला दिग्विजय से होगा. इसके पहले साल 2003 के विधानसभा चुनाव में राघोगढ़ से शिवराज को दिग्विजय के खिलाफ बीजेपी ने उतारा था. लेकिन तब शिवराज को हार का सामना करना पड़ा था.
मध्यप्रदेश की भोपाल, विदिशा, दमोह और इंदौर संसदीय सीटों पर वर्ष 1989 से बीजेपी का कब्जा है. वहीं जबलपुर व सागर संसदीय सीटों पर कांग्रेस को वर्ष 1996 के बाद से जीत नहीं मिली है. राज्य की 29 में से ये छह सीटें सबसे कठिन मानी जाती हैं. कांग्रेस ने इन कठिन सीटों में सेंधमारी के लिए ही दिग्विजय सिंह को भोपाल से उम्मीदवार बनाया है, जहां 1989 के बाद कांग्रेस को जीत नहीं मिली है. दरअसल, भोपाल ऐसी संसदीय सीट है, जिसका आसपास की तीन अन्य सीटों -विदिशा, होशंगाबाद और राजगढ़- पर भी असर पड़ता है. ये चारों सीटें बीजेपी के कब्जे में है. कांग्रेस को लगता है कि दिग्विजय के जरिए इन सभी सीटों पर उसका प्रभाव बढ़ेगा. यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2019: नवादा से टिकट नहीं मिलने पर छलका गिरिराज सिंह का दर्द, बीजेपी नेतृत्व से पूछा- मुझसे बिना पूछे सीट क्यों बदली गई?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भोपाल में कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी से नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से होने वाला है. क्योंकि दिग्विजय सिंह लगातार संघ पर हमले करते रहे हैं. लिहाजा सिंह के भोपाल से चुनाव लड़ने की स्थिति में संघ पूरा जोर लगाएगा और किसी भी सूरत में दिग्विजय को जीतने नहीं देगा. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटैरिया कहते हैं, "बीजेपी इस संसदीय सीट के चुनाव को हाईप्रोफाइल बनाने से बचेगी. लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिग्विजय सिंह को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा. इन स्थितियों में वही व्यक्ति बीजेपी का उम्मीदवार होगा, जिसे संघ का समर्थन हासिल होगा."
आईएएनएस इनपुट