लोकसभा चुनाव 2019: क्या येदियुरप्पा की गलती पीएम मोदी को पड़ेगी भारी? कर्नाटक में बैकफुट पर बीजेपी

बीजेपी की कर्नाटक यूनिट अभी बैकफुट पर है और इसका कारण है वो ऑडियो टेप जिसे मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने जारी किया था.

बी एस येदियुरप्पा और पीएम नरेंद्र मोदी (Photo Credits: PTI)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के मद्देनजर रविवार को दक्षिण भारत के तीन राज्यों का दौरा किया. इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक (Karnataka), आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) और तमिलनाडु (Tamil Nadu) में विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला और लोकार्पण करने के बाद सार्वजनिक रैलियां कर विपक्षी पार्टियों पर जमकर निशाना साधा. कर्नाटक में पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्य की कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (JDS) की गठबंधन सरकार पर निशाना साधा. ‘मजबूर बनाम मजबूत’ सरकार का नारा देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ‘कर्नाटक के असहाय मॉडल’ को देश पर थोपने का प्रयास किया जा रहा है और मेरे खिलाफ विपक्षी दल ‘महागठबंधन’ बनाने का प्रयास कर रहे हैं.

पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी का जिक्र करते हुए कहा कि यहां के मुख्यमंत्री हर किसी का पंचिंग बैग बन गए हैं. हर दिन उन्हें धमकी मिल रही है. उनकी पूरी ऊर्जा कांग्रेस के बड़े नेताओं से अपनी सीट बचाने में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि वह सार्वजनिक तौर पर अपनी मजबूरी पर रोते हैं. ऐसी असहाय सरकार, ऐसे असहाय मुख्यमंत्री जिन्हें हर कोई चुनौती दे रहा है. सरकार कौन चला रहा है? इस पर भ्रम बना हुआ है. हालांकि राजनीति के जानकारों का मानना है कि कर्नाटक के राजनीतिक हालात पर पीएम मोदी का हस्तक्षेप दो वजहों से टाला जा सकता था. यह भी पढ़ें- मिशन 2019: दक्षिण भारत में ये है मोदी-शाह की सबसे बड़ी मुसीबत 

इसमें सबसे पहली वजह तो यह है कि बीजेपी की स्टेट यूनिट अभी बैकफुट पर है और इसका कारण है वो ऑडियो टेप जिसे शुक्रवार को मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने जारी किया था. इस ऑडियो टेप में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा जेडीएस विधायक के बेटे के साथ बातचीत करते सुनाई दे रहे हैं. बीजेपी की स्टेट यूनिट अभी कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन वाली सरकार को अस्थिर करने में जुटी है. ऐसे में इस वक्त पीएम मोदी का हस्तक्षेप केंद्र का राज्यों के मामले में टांग अड़ाने के रूप में देखा जा सकता है.

दूसरी वजह ये है कि कर्नाटक में नई सरकार के गठन को मुश्किल से एक साल हुआ है और ऐसे में जनता उस पार्टी पर शायद मेहरबानी न दिखाए जो इस सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है. बीजेपी कर्नाटक विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी हो सकती है लेकिन लोगों के लिए कुमारस्वामी सरकार के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना जल्दबाजी होगी. कुमारस्वामी एक लोकप्रिय नेता हैं और बीजेपी को कर्नाटक में जेडीएस की लोकप्रियता को कम नहीं आंकना चाहिए. यह भी पढ़ें- बिहार: NDA के बाद महागठबंधन में भी सीटों को लेकर घमासान, जीतन राम मांझी बोले- हमें कुशवाहा की पार्टी से ज्यादा सीटें चाहिए

कर्नाटक में बीजेपी का प्रभाव तो है लेकिन जेडीएस जैसी मजबूत क्षेत्रीय पार्टी और कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी के गठबंधन को टक्कर देना उसके लिए आसान नहीं होगा. 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 38 फीसदी वोट मिले थे तो वहीं जेडीएस को 18 फीसदी वोट मिले और बीजेपी को 36 फीसदी वोट मिले थे. अगर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन जारी रहा तो बीजेपी के लिए कर्नाटक में काफी मुश्किल होगी. 2014 के आम चुनावों में कर्नाटक की 28 में से 17 सीटें जीतने वाली बीजेपी को इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी.

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