राहुल गांधी से मिले शत्रुघ्न सिन्हा, 6 अप्रैल को थामेंगे कांग्रेस का हाथ

बीजेपी के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. वह 6 अप्रैल को औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल होंगे. कांग्रेस प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल ने एक ट्वीट कर कहा, "बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा..6 अप्रैल को औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल होंगे."

राहुल गांधी और शत्रुघ्न सिन्हा (Photo Credits: IANS)

नई दिल्ली: बीजेपी के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. वह 6 अप्रैल को औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल होंगे. कांग्रेस प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल ने एक ट्वीट कर कहा, "बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा..6 अप्रैल को औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल होंगे."

सिन्हा संभवत: पटना साहिब सीट से चुनाव लड़ेंगे. वह पहले से ही कहते रहे हैं कि 'सिचुएशन जो भी हो, लोकेशन वही होगा'. बीजेपी ने इस बार उनहें टिकट न देकर इस सीट से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को उतारा है.

अभिनेता से राजनेता बने सिन्हा प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की कार्यशैली के आलोचक रहे हैं और दोनों पर देश को तानाशाह की तरह चलाने का आरोप लगाया है. वह देश के विभिन्न हिस्सों में रैलियों को संबोधित करते रहे हैं. वह कहते रहे हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में लोकशाही थी, जबकि मोदी सरकार में 'तानाशाही' है.

उन्होंने वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और शांता कुमार से सहमति लिए बिना उनका टिकट काट दिए जाने पर भी बीजेपी नेतृत्व की आलोचना की थी.

पटना साहिब सीट से एक और सिन्हा बीजेपी के राज्यसभा सदस्य आर.के. सिन्हा चुनाव लड़ना चाहते थे. रविशंकर प्रसाद मंगलवार को जब पटना हवाईअड्डा पहुंचे तो आर.के. सिन्हा के समर्थकों ने उन्हें काले झंडे दिखाए और 'गो बैक' के नारे लगाए. बाद में रविशंकर प्रसाद और आर.के. सिन्हा के समर्थकों के बीच जमकर मारपीट हुई.

आडवाणी गुजरात के गांधीनगर से चुनाव लड़ा करते थे. इस बार पार्टी अध्यक्ष अमित शाह खुद गांधीनगर से उम्मीदवार हैं. उन्होंने पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से बयान दिलाया है कि आडवाणी और जोशी ने स्वयं कहा है कि वे चुनाव लड़ना नहीं चाहते, जबकि आडवाणी और जोशी का बयान आया कि उन्हें टिकट काटे जाने का दुख नहीं है, बल्कि टिकट काटने के तरीके से आहत हैं. आडवाणी और जोशी को इस बात का मलाल है कि अमित शाह ने खुद आकर उन्हें चुनाव लड़ने से मना क्यों नहीं किया, उनके पास पार्टी महासचिव रामलाल को क्यों भेजा.

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